जागेश्वर मंदिर में पुजारियों के अपमान के विरोध में मौन व्रत पर पर बैठे हरीश रावत
अल्मोड़ा के प्रसिद्ध धाम जागेश्वर
मंदिर में पुजारियों संग भाजपा नेताओं द्वारा अभद्रता करने के मामले के
विरोध में उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत सोमवार को मौन व्रत पर
बैठे। इससे पहले उन्होंने भगवान शिव को जल चढ़ाकर उनकी अराधना की।
भगवान भोले के धाम जागेश्वर में शनिवार को मंदिर समिति के प्रबंधक भगवान
भट्ट और पुजारियों से गालीगलौज और अभद्रता आंवला (बरेली) के भाजपा सांसद
धर्मेंद्र कश्यप को भारी पड़ गई। भगवान भट्ट की तहरीर पर राजस्व पुलिस ने
धर्मेंद्र कश्यप, उनके साथी मोहन राजपूत और सुशील अग्रवाल के खिलाफ
मजिस्ट्रेट के आदेश का उल्लंघन करने पर धारा 188 और गालीगलौज, अभद्रता करने
पर धारा 504 के तहत प्राथमिक दर्ज कर ली है। अल्मोड़ा एसडीएम ने इसकी
पुष्टि की है। सांसद के अमर्यादित आचरण के विरोध में सोमवार को कुमाऊं में
कई जगहों पर लोगों ने प्रदर्शन किया।
हरीश रावत के घर से कांग्रेस का झंडारोहण कर चुनाव प्रचार अभियान की शुरूआत
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोदियाल
ने चुनाव प्रचार समिति के अध्यक्ष हरीश रावत के घर से कांग्रेस का झंडारोहण
कर चुनाव प्रचार अभियान की शुरूआत कर दी। भारी बारिश के बावजूद सैकड़ों की
संख्या में कांग्रेस कार्यकर्ता इस कार्यक्रम में शामिल हुए। इस दौरान
गोदियाल ने कहा कि राज्य की सत्ता से भाजपा सरकार को उखाड़ फेंकने की आज
शुरूआत हो गई है। आने वाला समय कांग्रेस का होगा।
रविवार को कांग्रेस चुनाव प्रचार समिति के अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री
हरीश रावत के ओल्ड मसूरी रोड स्थित आवास पर झंडारोहण कार्यक्रम का आयोजन
किया गया। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने कहा कि अब समय आ गया है
कि भाजपा को उत्तराखंड छोड़कर जाना होगा। भारी बारिश के बावजूद सैकड़ों की
संख्या में जुटे कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने साबित कर दिया है कि अब भाजपा
सरकार के दिन पूरे हो गए हैं। भाजपा ने तीन माह में तीन मुख्यमंत्री देने
का कीर्तिमान बनाया है। उन्होंने कहा कि अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति तक
हरीश रावत के नेतृत्व वाली सरकार ने विकास की किरण पहुंचाई थी। उनकी सरकार
में शुरू की गई कई योजनाओं को भाजपा सरकार ने बंद करने का काम किया है।
हमें फिर से कांग्रेस की सरकार लाकर प्रदेश को विकास के रास्ते पर आगे ले
जाना है।
इस अवसर पर कांग्रेस चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री
हरीश रावत ने कहा कि अगस्त माह कई क्रांतियों के इतिहास का गवाह रहा है।
हमने भी अगस्त माह की पहली तारीख को सोच समझकर चुना है। उत्तराखंड में भी
बदलाव की क्रांति की आवश्यकता आ पड़ी है। हरीश ने अपने कार्यकाल की विभिन्न
वर्गों को दी गई पेंशन योजनाओं, केदारनाथ का पुनर्निर्माण, युवाओं को दिए
गए रोजगार और गरीब तबके के लिए शुरू की गई कल्याणकारी योजनाओं को गिनाया।
कहा कि साढ़े चार वर्ष के कार्यकाल में भाजपा ने प्रदेश की अर्थव्यवस्था
सहित सबकुछ धवस्त कर दिया है। हर वर्ग का व्यक्ति दुखी है। जनता त्राहीमाम
कर रही है। भापजा की सरकार हर मोर्चे पर असफल रही है।
इस अवसर पर पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने कहा कि समाज को
बांटकर राज करने वाली भाजपा सरकार को उखाड़ फेंकने का समय आ गया है। जैसे
अंग्रेजों भारत छोड़ो का नारा बुलंद किया गया था, वैसे ही भाजपा उत्तराखंड
छोड़ो का नारा सफल होगा। इस अवसर पर राज्यसभा सांसद प्रदीप टम्टा, विधायक
मनोज रावत, विधायक हरीश धामी, पूर्व मंत्री दिनेश अग्रवाल, पूर्व मंत्री
मातवर सिंह कंडारी, पूर्व विधायक हेमेश खर्कवाल, पूर्व विधायक मनोज तिवारी,
सतपाल ब्रह्मचारी, केपी अग्रवाल, अशोक महलोत्रा, मनमोहन शर्मा, अलका
शर्मा, राजकुमार यादव, मनीश कुमार, राजीव जैन, गरिमा दसौनी आदि मौजूद रहे।
कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ कांग्रेस नेता सुरेंद्र कुमार ने किया।
नेता प्रतिपक्ष और चारों कार्यकारी अध्यक्ष नदारद
झंडारोहण कार्यक्रम में नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह समेत चारों नवनियुक्त कार्यकारी अध्यक्ष प्रो.जीत राम, भुवन कापड़ी, तिलक राज बेहड़ और रंजीत रावत नदारद दिखे। कांग्रेस के लिए महत्वपूर्ण दिवस पर नेता प्रतिपक्ष और चारों कार्यकारी अध्यक्षों का गायब रहना पार्टी में गुटबाजी की अफवाहों को हवा देनेे के लिए काफी है। कांग्रेस के तमाम दिग्गज नेता पार्टी में गुटबाजी को कई बार नकार चुके हैं, लेकिन हालिया दिनों में ही कई ऐसे मौके आए, जब पार्टी के भीतर उभर रही गुटबाजी प्रत्यक्ष रूप से सामने आई। रविवार के कार्यक्रम में ही कई कांग्रेसियों ने दबी जुबान में इस बात को स्वीकार किया कि पार्टी में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है।
नेता प्रतिपक्ष और चारों कार्यकारी अध्यक्ष नदारद
झंडारोहण कार्यक्रम में नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह समेत चारों नवनियुक्त कार्यकारी अध्यक्ष प्रो.जीत राम, भुवन कापड़ी, तिलक राज बेहड़ और रंजीत रावत नदारद दिखे। कांग्रेस के लिए महत्वपूर्ण दिवस पर नेता प्रतिपक्ष और चारों कार्यकारी अध्यक्षों का गायब रहना पार्टी में गुटबाजी की अफवाहों को हवा देनेे के लिए काफी है। कांग्रेस के तमाम दिग्गज नेता पार्टी में गुटबाजी को कई बार नकार चुके हैं, लेकिन हालिया दिनों में ही कई ऐसे मौके आए, जब पार्टी के भीतर उभर रही गुटबाजी प्रत्यक्ष रूप से सामने आई। रविवार के कार्यक्रम में ही कई कांग्रेसियों ने दबी जुबान में इस बात को स्वीकार किया कि पार्टी में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है।
टिप्पणियाँ