जिनसे था मौत का डर, वही तालिबानी एयरपोर्ट तक छोड़कर गए, आधी रात में यूं काबुल से निकले भारतीय राजनयिक
अफगानिस्तान से बाहर निकलने में भारतीय राजनयिकों को जिस तालिबान से मौत का खौफ था, वे ही उन्हें काबुल के एयरपोर्ट तक हथियारों से लैस होकर पूरी सुरक्षा के साथ छोड़कर गए। भले ही यह विरोधाभासी लगे, लेकिन यही सच है। काबुल में भारतीय दूतावास के बाहर मशीन गन और रॉकेट लॉन्चर्स के साथ तालिबान के लड़ाके खड़े थे। वहीं परिसर के अंदर 150 राजनयिक थे, जो घबराए हुए थे और बाहर निकलने पर उन्हें तालिबान से जान का डर सता रहा था। लेकिन जब बाहर निकले तो वही बंदूकें लिए खड़े थे। उन्होंने कोई नुकसान नहीं पहुंचाया और साथ जाकर एयरपोर्ट तक छोड़कर आए। तालिबान के साथ भारत के संबंध बहुत अच्छे नहीं माने जाते रहे हैं। दरअसल पाकिस्तान उसका बड़ा समर्थक रहा है और वह उसे भारत के खिलाफ उकसाता रहा है। वहीं भारत ने हमेशा अमेरिका समर्थित सरकार का साथ दिया है, लेकिन अब स्थितियां बदल गई हैं। अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा हो गया है और वह सरकार बनाने की तैयारी में है। लेकिन दूतावास के बाहर खड़े तालिबानी भारतीय राजनयिकों से बदला लेने के मूड में नहीं दिखे बल्कि काबुल एयरपोर्ट तक सुरक्षा प्रदान की। भारतीय दूतावास से करीब दो दर्जन गाड़ियां बाहर निकलीं और उनमें सवार लोगों का तालिबानियों ने हाथ हिलाकर और मुस्कान के साथ अभिवादन किया।इनमें से ही एक ने इन गाड़ियों को शहर के ग्रीन जोन का रास्ता दिखाया, जहां उपद्रव कम था और वह सीधा एयरपोर्ट को जा रहा था। सोमवार को अफगानिस्तान से निकलने वाले समूह का हिस्सा रहे एक अधिकारी ने कहा कि जब हम अपने दूतावास से दूसरे समूह को निकाल रहे थे तो हमें रास्ते में कुछ तालिबान मिले। उन्होंने हमें ग्रीन जोन से बाहर निकलने से रोक दिया। इसके बाद हमने तालिबान से संपर्क किया, जिन्होंने हमें सुरक्षा दी और बाहर निकलने में मदद की। गौरतलब है कि भारतीय वायुसेना फिलहाल अफगानिस्तान से राजनयिकों और अन्य लोगों को निकालने में जुटी है। मंगलवार को भी काबुल से एयरफोर्स का ग्लोबमास्टर विमान 120 लोगों को लेकर दिल्ली पहुंचा।
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