लेख.आजादी का स्वर्णिम इतिहास

 

 


प्रफुल्ल सिंह "बेचैन कलम"
 
इतिहास के आरम्भ के साथ ही भारत ने अपनी अंतहीन खोज प्रारंभ की , और ना जाने कितनी ही सदियां इसकी भव्य सफलताओं और असफलताओं से भरी हुई हैं। चाहे अच्छा वक़्त हो या बुरा , भारत ने कभी इस खोज से अपनी नजर नहीं हटाई और कभी भी अपने उन आदर्शों को नहीं भूला जिसने इसे शक्ति दी। आज हम दुर्भाग्य के एक युग का अंत कर रहे हैं और भारत पुनः खुद को खोज पा रहा है। आज हम जिस उपलब्धि का उत्सव मना रहे हैं , वो महज एक कदम है , नए अवसरों के खुलने का , इससे भी बड़ी विजय और उपलब्धियां हमारी प्रतीक्षा कर रही हैं। क्या हममें इतनी शक्ति और बुद्धिमत्ता है कि हम इस अवसर को समझें और भविष्य की चुनौतियों को स्वीकार करें ? भविष्य में हमें विश्राम करना या चैन से नहीं बैठना है बल्कि निरंतर प्रयास करना है ताकि हम जो वचन बार - बार दोहराते रहे हैं और जिसे हम आज भी दोहराएंगे उसे पूरा कर सकें । भारत की सेवा का अर्थ है लाखों - करोड़ों पीड़ित लोगों की सेवा करना। इसका मतलब है गरीबी और अज्ञानता को मिटाना , बीमारियों और अवसरों की असमानता को मिटाना। हमारी पीढ़ी के सबसे महान व्यक्ति की यही महत्वाकांक्षा रही है कि हर एक आंख से आंसू मिट जाएं। शायद ये हमारे लिए संभव न हो पर जब तक लोगों कि आंखों में आंसू हैं और वे पीड़ित हैं , तब तक हमारा काम खत्म नहीं होगा। 

इसलिए हमें परिश्रम करना होगा , और कठिन परिश्रम करना होगा ताकि हम अपने सपनों को साकार कर सकें। वो सपने भारत के लिए हैं , पर साथ ही वे पूरे विश्व के लिए भी हैं , आज कोई खुद को बिलकुल अलग नहीं सोच सकता क्योंकि सभी राष्ट्र और लोग एक दूसरे से बड़ी समीपता से जुड़े हुए हैं। शांति को अविभाज्य कहा गया है , इसी तरह से स्वतंत्रता भी अविभाज्य है , समृद्धि भी और विनाश भी , अब इस दुनिया को छोटे - छोटे हिस्सों में नहीं बांटा जा सकता है। हमें स्वतंत्र भारत का महान निर्माण करना है जहां उसके सारे बच्चे रह सकें। आज नियत समय आ गया है , एक ऐसा दिन जिसे नियति ने तय किया था - और एक बार फिर वर्षों के संघर्ष के बाद , भारत जागृत और स्वतंत्र खड़ा है । कुछ हद तक अभी भी हमारा भूत हमसे चिपका हुआ है , और हम अक्सर जो वचन लेते रहे हैं उसे निभाने से पहले बहुत कुछ करना है। पर फिर भी निर्णायक बिंदु अतीत हो चुका है , और हमारे लिए एक नया इतिहास आरम्भ हो चुका है , एक ऐसा इतिहास जिसे हम गढ़ेंगे और जिसके बारे में और लोग लिखेंगे। 

ये हमारे लिए एक सौभाग्य का क्षण है , एक नए तारे का उदय हुआ है , पूरब में स्वतंत्रता का सितारा । एक नयी आशा का जन्म हुआ है , एक दूरदृष्टिता अस्तित्व में आई है। काश ये तारा कभी अस्त न हो और ये आशा कभी धूमिल न हो ! हम सदा इस स्वतंत्रता में आनंदित रहें । भविष्य हमें बुला रहा है । हमें किधर जाना चाहिए और हमारे क्या प्रयास होने चाहिए , जिससे हम आम आदमी , किसानों और कामगारों के लिए स्वतंत्रता और अवसर ला सकें , हम गरीबी , अज्ञानता और बिमारियों से लड़ सकें , हम एक समृद्ध , लोकतांत्रिक और प्रगतिशील देश का निर्माण कर सकें , और हम ऐसी सामाजिक , आर्थिक और राजनीतिक संस्थाओं की स्थापना कर सकें जो हर एक आदमी - औरत के लिए जीवन की परिपूर्णता और न्याय सुनिश्चित कर सकें। 

स्वतंत्रता किसी भी व्यक्ति के लिए या देश के लिए बहुत बड़ा वरदान ही होती है। लेकिन ध्यान रहे कि स्वतंत्रता का दीपक सदैव जलाए रखना है। आज आजादी के चलते ही विश्व में हमारा आदर - सत्कार है । स्वाधीनता का तात्पर्य है , जो व्यक्ति किसी नियंत्रण अथवा बंधन के बिना अपनी इच्छानुसार काम करने का अधिकार रखता है , वह स्वतंत्र या स्वाधीन कहलाया जाता है । किन्तु इस स्वाधीनता या स्वतंत्रता का अर्थ यह नहीं है कि हम समाज और देश द्वारा बनाये गये नियमों का उल्लंघन करें। स्वतंत्रता का अर्थ है " जीओ और जीने दो। " हमें स्वतंत्रता के महत्व को समझते हुए आपसी प्रेम , भाईचारे तथा सौहार्द की भावना को अपने दिल में जगह देनी चाहिए। हमें आज एक अच्छे नागरिक होने के साथ - साथ देश के प्रति समर्पण की भावना तथा देशभक्ति के जज्बे को कायम रखना चाहिए। तभी सही मायने में आजादी की सार्थकता सिद्ध होगी।


लखनऊ, उत्तर प्रदेश
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