यूपी : साढ़े चार लाख परिषदीय शिक्षकों का वेतन अटका,शासन ने नहीं जारी किया ग्रांट
लखनऊ / बेसिक शिक्षा विभाग के शिक्षकों को इन दिनों वेतन से जुड़ी समस्या से जूझना पड़ रहा है। परिषदीय विद्यालयों के शिक्षकों को सितंबर माह का वेतन अब तक नहीं मिल सका है, जबकि आमतौर पर वेतन महीने की एक से पांच तारीख के बीच खातों में चला जाता है। प्रदेश के करीब साढ़े चार लाख से अधिक शिक्षकों और कर्मचारियों के सामने बिना तनख्वाह के दशहरा मनाने का संकट खड़ा हो गया।राजधानी समेत प्रदेश भर के अन्य जनपदों में स्थित परिषदीय विद्यालयों में शिक्षक, शिक्षामित्र अनुदेशक और कर्मचारियों की संख्या करीब साढ़े चार लाख है। इनके वेतन के लिए हर महीने विभाग को करोड़ों रुपए की जरूरत पड़ती है। मगर बताया जा रहा है कि इस महीने किसी कारणवश वेतन जारी नहीं हो सका। उधर, विभाग से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि हर महीने की तरह इस महीने भी वेतन बिल तैयार कर भेजा गया है, किसी अभी तक भुगतान नहीं हो सका है। उच्च अधिकारियों की ओर से आश्वासन मिला है कि जल्द ही वेतन भुगतान किया जाएगा।मिशन प्रेरणा, मिशन शिक्षण संवाद से लेकर डीबीटी तक के सभी कामों के साथ शिक्षक का काम कर रहे। शिक्षकों के पास पहले से ही अतिरिक्त कार्य है। मगर इन सबके बावजूद वे अपना दायित्व बेहतर ढंग से निभा रहे हैं। वेतन के मुद्दे को लेकर शिक्षकों ने मामले की शिकायत जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी से लेकर उच्चाधिकारियों तक की, मगर दशहरे तक इस दिशा में किए गए सभी प्रयास शून्य ही हैं। इसके चलते शिक्षकों में नाराजगी है। उनका कहना है कि दुर्गा पूजा के साथ त्योहारों की तैयारी के लिए उनके पास पैसे नहीं है। प्रकरण पर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी विजय प्रताप सिंह का कहना है कि शिक्षकों का वेतन भुगतान जल्द से जल्द कराए जाने का प्रयास किया जा रहा है।मगर शिक्षकों को बीएसए की बात पर भरोसा नहीं है। उनका कहना कि वेतन भुगतान न होने से इस बार दशहरा सूखा मनाना होगा। प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष विनय कुमार सिंह का कहना है कि परिषदीय शिक्षकों के वेतन के लिए अभी तक शासन से ग्रांट जारी नही हुई, इससे त्योहार प्रभावित हुए हैं। बहुत से शिक्षकों की लोन इत्यादि और बच्चो की फीस भी इसी समय दी जाती है, वो भी प्रभावित हुई। जबकि परिषदीय शिक्षकों से सभी कार्य लिए जाते है, ऐसे में अधिकारियों को जल्द इस प्रकरण पर ध्यान देना चाहिए।
Sources:JNN
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