भारत में ग्रीन रिकवरी ला सकती है जीडीपी में स्थायी बढ़त

 

 

Climate कहानी

 

 

भारत अगर कोविड की आर्थिक मार से निबटने और उबरने के प्रयासों में पर्यावरण अनुकूल कदम लेगा तो उसकी जीडीपी स्थायी रूप से बढ़ सकती है।

जी हाँ, केम्ब्रिज युनिवेर्सिटी से जुड़े तीन संस्थानों ने साझा प्रयास से एक रिपोर्ट जारी कर न सिर्फ़ यह कहा है कि पर्यावरण अनुकूल आर्थिक सुधार कदम एक आम रिकवरी स्टिमम्युल्स से बेहतर होते हैं, बल्कि भारत के केस में तो ग्रीन रिकवरी हमेशा के लिए भारत की जीडीपी को बढ़ा सकती है। और रिपोर्ट के मुताबिक़ भारत में तो यह असर ऐसे होंगे कि 2030 तक कोविड के सभी बुरे असर हमारी अर्थव्यवस्था से हट जायेंगे।

कैंब्रिज इकोनोमेट्रिक्स द्वारा बनाई गयी और वी मीन बिज़नेस और कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के कॉर्पोरेट लीडर्स ग्रुप द्वारा साझा रूप से प्रकाशित इस रिपोर्ट में कहा गया है कि जहाँ आम रिकवरी स्टिमम्युल्स पैकिज कोविड से पहले की स्थिति पर वापस ले जाने की बात करते हैं, वहीँ ग्रीन रिकवरी हमेशा के लिए सकारात्मक बदलाव का वादा करती है।

आर्थिक रिकवरी के लिए इस रिपोर्ट में दो रास्ते बताये गए हैं। पहला है टैक्स में कटौती कर उपभोक्ता को अधिक खर्च करने के लिए प्रेरित करना और दूसरा है टैक्स कटौती के साथ पाँच पर्यावरण अनुकूल कदम। यह पांच कदम हैं एनेर्जी एफिशिएंसी, बिजली की ग्रेड में सुधार, सौर और पवन ऊर्जा पर सब्सिडी, बैट्री वाहनों पर सब्सिडी और पुरानी पेट्रोल-डीजल गाड़ियों के निस्तारण की स्कीम, और पौधारोपण का वृहद कार्यक्रम।

रिपोर्ट से जुड़े विशेषज्ञों का मानना है कि ग्रीन रिकवरी के कदम न सिर्फ़ लम्बे समय में फायदा देते हैं, उनके सकारात्मक असर तत्काल भी देखने को मिलेंगे।

भारत पर विशेष टिपण्णी करते हुए इस रिपोर्ट में बताया गया है कि बिक्री कर में कटौती वाला तरीका हो या उस कटौती के साथ पर्यावरण अनुकूल कदम लेना हो-दोनों ही सूरत में तत्काल प्रभाव अगले साल देखने को मिलेंगे, लेकिन ग्रीन रिकवरी का रास्ता अगर अपनाया जाता है तो जीडीपी में 2030 तक स्थायी बढ़ोतरी दर्ज की जाएगी और यह कोविड के असर को हमेशा के लिए मिटा देगी। आगे बताया गया है कि जीडीपी (79%) और रोजगार (64%) दोनों में सबसे बड़ा योगदान बैट्री वाहनों को बढ़ावा देने और पुराने वाहनों के निस्तारण से होगा। वहीँ वृक्षारोपण कार्यक्रम अतिरिक्त जीडीपी में 10% और रोजगार में 27% की बढ़ोतरी करेगा। अब क्योंकि भारत में कोयले पर निर्भरता काफ़ी है इसलिए इलेक्ट्रिक वाहनों का उतना असर नहीं होगा जितना एनेर्जी एफिशिएंसी और रेन्युब्ल एनेर्जी सब्सिडी से हो सकता है।

निष्कर्षों पर टिप्पणी करते हुए, द एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट (TERI) के महानिदेशक डॉ. अजय माथुर ने कहा,इस रिपोर्ट के निष्कर्षों से यह स्पष्ट होता है कि ऊर्जा के विकास में तेजी लाने वाली हरित वित्त समर्थक नीतियां भारत के विकास के लिए अच्छी हैं। इलेक्ट्रिक वाहन क्षेत्र के बुनियादी ढांचे और पुनर्वितरण का समर्थन स्पष्ट रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्र हैं। शुक्र है कि भारत सरकार पहले ही कदम उठा रही है। हालांकि, सीमित और ख़त्म होते घरेलू राजकोषीय भंडार को देखते हुए, सवाल अब यह होना चाहिए कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस तरह की ग्रीन रिकवरी को संभव करने के लिए कैसे मदद कर सकता है।

 

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