केदारनाथ : पहाड़ों की जवानी- पहाड़ों का पानी अब जाया नहीं जाएगा -पीएम

 


 भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दिवाली के बाद केदारनाथ की यात्रा पर पहुंचे जहां उन्होंने पूजा-अर्चना की। बाद में उन्होंने अदि शंकराचार्य की मूर्ति का अनावरण किया। विकार कार्यों के लिए कई कार्या का शिलान्यास भी किया। आखिर में पीएम मोदी ने जनता के साथ अपने संबोधन में कहा कि लोगों में यह मान्यता थी कि पहाड़ों की जवानी और पानी होने का कोई फायदा नहीं होता यहा विकास संभव नहीं।


 पीएम मोदी ने जनता से कहा कि अब पड़ाड़ों का पानी और उनकी जवानी जया नहीं जाएगी। उत्तराखंड के केदारनाथ में पीएम मोदी ने कहा आप सभी आज यहां आदि शंकराचार्य समाधि के उद्घाटन के साक्षी हैं। उनके भक्त यहां आत्मा में मौजूद हैं। देश के सभी गणित और ज्योतिर्लिंग आज हमारे साथ जुड़े हुए हैं।   प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा 2013 के विनाश के बाद, लोग सोचते थे कि क्या केदारनाथ का पुनर्विकास किया जा सकता है। लेकिन मेरे भीतर की एक आवाज ने हमेशा मुझसे कहा कि केदारनाथ का फिर से विकास होगा।उन्होंने आगे कहा मैंने दिल्ली से केदारनाथ में पुनर्विकास कार्यों की नियमित समीक्षा की है। मैंने ड्रोन फुटेज के माध्यम से यहां किए जा रहे विभिन्न कार्यों की प्रगति की समीक्षा की। 


इन कार्यों के लिए मार्गदर्शन के लिए मैं यहां सभी 'रावलों' को धन्यवाद देना चाहता हूं।केदारनाथ में पीएम मोदी ने कहा एक समय था जब अध्यात्म और धर्म को केवल रूढ़ियों से जोड़कर माना जाता था। लेकिन, भारतीय दर्शन मानव कल्याण की बात करता है, जीवन को समग्र रूप से देखता है। आदि शंकराचार्य ने इस सच्चाई के प्रति समाज को जागरूक करने का काम किया। केदारनाथ में पीएम मोदी ने आगे कहा अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण हो रहा है। हाल ही में वहां दीपोत्सव मनाया गया। वाराणसी में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर परियोजना पर काम भी तेजी से आगे बढ़ रहा है। अब, देश का लक्ष्य ऊंचा है और इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए एक समय सीमा भी निर्धारित करता है।


  श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए उत्तराखंड के लिए चार धामों से सड़क संपर्क और हेमकुंड साहिब के पास रोपवे सहित कई बुनियादी ढांचे के कार्यों की योजना बनाई गई है। यह दशक उत्तराखंड का है। अगले 10 वर्षों में, राज्य में पिछले 100 वर्षों की तुलना में अधिक पर्यटक आएंगे। प्रधानमंत्री मोदी ने केदारनाथ से अपने संबोधन में कहा कि आज सभी मठों, 12 ज्योतिर्लिंगों, अनेक शिवालयों, शक्ति धाम,अनेक तीर्थ क्षेत्रों पर देश के गणमान्य महापुरुष, पूज्य शंकराचार्य परंपरा से जुड़े हुए सभी वरिष्ठ ऋषि, मनीषी और अनेक श्रद्धालु भी देश के हर कोने से केदारनाथ की इस पवित्र भूमि के साथ हमें आशीर्वाद दे रहे हैं। उन्होंने कहा आप सभी आदि शंकराचार्य जी की समाधि की पुनर्स्थापना के साक्षी बन रहे हैं। ये भारत की आध्यात्मिक समृद्धि और व्यापकता का बहुत अलौकिक दृश्य है।उन्होंने आगे कहा हमारे उपनिषदों में, आदि शंकराचार्य जी की रचनाओं में कई जगह नेति-नेति कहकर एक भाव विश्व का विस्तार दिया गया है। रामचरित मानस को भी हम देखें तो इसमें में अलग तरीके से ये भाव दोहराया गया है। 



रामायण का का जिक्र करते हुए पीएम ने कहा कि रामचरित मानस में कहा गया है- ‘अबिगत अकथ अपार, नेति-नेति नित निगम कह’ अर्थात्, कुछ अनुभव इतने अलौकिक, इतने अनंत होते हैं कि उन्हें शब्दों से व्यक्त नहीं किया जा सकता। बाबा केदारनाथ की शरण में आकर मेरी अनुभूति ऐसी ही होती है।पीएम ने कहा बरसों पहले जो नुकसान यहां हुआ था, वो अकल्पनीय था। जो लोग यहां आते थे, वो सोचते थे कि क्या ये हमारा केदार धाम फिर से उठ खड़ा होगा?लेकिन मेरे भीतर की आवाज कह रही थी की ये पहले से अधिक आन-बान-शान के साथ खड़ा होगा। इस आदि भूमि पर शाश्वत के साथ आधुनिकता का ये मेल, विकास के ये काम भगवान शंकर की सहज कृपा का ही परिणाम हैं।मैं इन पुनीत प्रयासों के लिए उत्तराखंड सरकार का, मुख्यमंत्री धामी जी का, और इन कामों की ज़िम्मेदारी उठाने वाले सभी लोगों का भी धन्यवाद करता हूँ 

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