कतरा.कतरा झलका दर्द: पूर्व विधायक योगेंद्र के गुर्गे फायरिंग कर धमकाते थे,शिकायत करने पर पुलिस उल्टी हमें प्रताड़ित करती थी

 

  


बदायूं /  पीड़िता के भाई का कहना है कि उन दिनों उसकी एमबीए की पढ़ाई चल रही थी। तेजेंद्र सागर, मीनू शर्मा और योगेंद्र सागर के गुर्गे दहशत फैलाने के लिए खुलेआम फायरिंग करते थे। अपहरण और सामूहिक दुष्कर्म मामले में बसपा के पूर्व विधायक और बिसौली से भाजपा के मौजूदा विधायक कुशाग्र सागर के पिता योगेंद्र सागर के जेल जाने के बाद बिल्सी के पीड़ित परिवार ने अपना दर्द बयां किया।बदायूं के बिल्सी में अपहरण और सामूहिक दुष्कर्म मामले में पूर्व विधायक योगेंद्र सागर को उम्रकैद की सजा से पीड़ित परिवार सुकून महसूस कर रहा है लेकिन परिवार अब तक उन चार साल की प्रताड़ना को नहीं भूल सका है, जो 2008 से 2012 तक योगेंद्र सागर के विधायक और प्रदेश में उनकी पार्टी की सरकार रहने के दौरान झेली।


पीड़िता के भाई का कहना है कि उनकी मदद के लिए जो भी साथ आता उनको रिपोर्ट दर्ज कर जेल भेज दिया जाता। पुलिस, प्रशासन पूरी तरह से योगेंद्र सागर की मुट्ठी में था। पिता मिठाई की दुकान चलाकर दो भाइयों और एक बहन को पढ़ा रहे थे। महीनों दुकान बंद रहने के कारण परिवार आर्थिक तंगी का शिकार हो गया। उनकी पढ़ाई भी प्रभावित हुई। परिवार आर्थिक तंगी के बीच एक ओर न्याय के लिए लड़ाई लड़ रहा था। दूसरी ओर दो भाइयों की एमबीए की पढ़ाई चल रही थी।पुलिस अक्सर घर पर आती और किसी न किसी को उठाकर ले जाती थी, कई घंटे थाने में प्रताड़ना दी जाती थी। सागर ने परिवार को प्रताड़ित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। पुलिस के साथ गुंडों का भी इस्तेमाल किया। तत्कालीन एसओ, सीओ और एसपी देहात भी योगेंद्र सागर की बात सरकारी फरमान की तरह मानते थे। मदद करने वालों को बेवजह थाने में बैठाने के साथ जेल तक भेजा गया, लेकिन सागर के उत्पीड़न का समाज के लोगों ने डटकर मुकाबला किया और 13 साल की लंबी लड़ाई के बाद आखिर दोषी सलाखों के पीछे पहुंच गया।पीड़िता के दो भाई हैं। एक भाई बिल्सी में ही परिवार के साथ रहते हैं जबकि एक भाई दिल्ली में एक निजी कंपनी में नौकरी करते हैं। एक भाई का कहना है कि आठ मार्च 2010 को उनका जन्मदिन था। बीमार होने से वह अस्पताल में भी भर्ती थे। एक दिन पहले सात मार्च को उनके और पिता के खिलाफ कातिलाना हमले की फर्जी रिपोर्ट दर्ज करा दी गई।

 पुलिस ने उनकी एक न सुनी और जेल भेज दिया। मामले में सजा भी हो चुकी है। हाईकोर्ट से जमानत पर हैं।पीड़िता के पिता की बिल्सी में मिठाई की दुकान है। पीड़िता के परिवार वालों का कहना है कि उन दिनों उनकी दुकान पर लगभग हर रोज खाद्य सुरक्षा औषधि प्रशासन का छापा पड़ता था। सैंपल भरे जाते थे और प्रताड़ित किया जाता था। इतना ही नहीं कई बार तो एक दिन में तीन से चार बार तक उनकी दुकान पर छापा मारकर मिठाइयों के सैंपल भरे गए। सागर ने हर ओर से प्रताड़ित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। बाद में 2012 में सपा की सरकार आने पर पुलिस प्रताड़ना कुछ कम हुई।पीड़िता के भाई ने बताया कि योगेंद्र सागर की पत्नी प्रीति सागर बिसौली विधानसभा सीट पर बसपा के टिकट से 2012 का चुनाव हार गई थीं। अगले चुनाव में योगेंद्र सागर अपने बेटे कुशाग्र सागर को चुनाव लड़ाना चाहता था। बसपा से टिकट नहीं मिला तो वह भाजपा में शामिल हो गया था। भाजपा से कुशाग्र के टिकट के विरोध में पीड़िता के भाई ने प्रदेश से लेकर भाजपा के राष्ट्रीय स्तर तक के नेताओं से जनवरी 2017 में मुलाकात की, इसके बाद भी भाजपा ने कुशाग्र सागर को बिसौली विधानसभा से प्रत्याशी बना दिया।



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