राजा भैया को अखिलेश का पहचानने से इनकार,आखिर क्या है सियासी हिस्ट्री ?
उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए राजनीतिक सरगर्मियां बढ़ गई है। गठबंधन की कवायद भी शुरू हो गई है। सत्ता पक्ष हो या फिर विपक्ष, सभी अपने-अपने स्तर पर गठबंधन की कोशिश में जुट गए हैं। इन सब के बीच एक बार फिर से उत्तर प्रदेश में जनसत्ता दल लोकतांत्रिक पार्टी के अध्यक्ष रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया सुर्खियों में आ गए हैं। दरअसल, मामला यह है कि जब पत्रकारों ने समाजवादी पार्टी प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से राजा भैया के साथ गठबंधन को लेकर सवाल पूछा तो उन्होंने साफ तौर पर कहा यह कौन है, मैं नहीं जानता। अखिलेश के इस बयान के बाद राजा भैया सुर्खियों में हैं। इसके साथ ही सपा प्रमुख के इस बयान को अलग-अलग बिंदुओं से देखा जा रहा है।माना जा रहा है कि अखिलेश यादव राजा भैया से काफी नाराज हैं। हालांकि, यह बात भी सच है कि मुलायम सिंह यादव और शिवपाल यादव के साथ राजा भैया के रिश्ते हमेशा अच्छे रहे हैं। राजा भैया एक समय समाजवादी पार्टी की सरकार के लिए संकटमोचक हुआ करते थे। समाजवादी पार्टी के साथ उनके रिश्तों में कड़वाहट 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान आई। अखिलेश चाहते थे कि राजा भैया गठबंधन की सहयोगी बसपा को वोट करें लेकिन राजा भैया ने भाजपा के पक्ष में जाना ही बेहतर समझा। इसके बाद से राजा भैया और भाजपा के बीच नजदीकियां बढ़ती गई।दूसरी बात यह भी है कि राजा भैया हमेशा राष्ट्रवादी और हिंदुत्ववादी राजनीति के समर्थक रहे हैं। जब से उत्तर प्रदेश में योगी सरकार आई है तब से राजा भैया ने भाजपा सरकार के खिलाफ मुखरता से आवाज नहीं उठाई है। अखिलेश की नाराजगी का दूसरा कारण यह भी बताया जा रहा है कि प्रतापगढ़ में समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं और नेताओं को परेशान किया जाता रहा है। अखिलेश यादव मानते हैं कि इन सब के पीछे कहीं ना कहीं राजा भैया का हाथ है। इसके अलावा माना यह भी जा रहा है कि राजा भैया के हिंदुत्ववादी राजनीति की वजह से समाजवादी पार्टी के मुस्लिम वोटर दूर जा सकते हैं। इसके अलावा प्रतापगढ़-कौशांबी क्षेत्र के यादव वोटर राजा भैया से नाराज हैं। ऐसे में समाजवादी पार्टी को इसका नुकसान हो सकता है। हाल में ही राजा भैया ने मुलायम सिंह यादव से मुलाकात की थी। इस मुलाकात के अलग-अलग मायने निकाले जा रहे थे। हालांकि राजा भैया ने खुद इस मुलाकात को लेकर राजनीतिक कयासों पर विराम लगाया। उन्होंने इसे शिष्टाचार मुलाकात बताया और कहा कि वह मुलायम सिंह यादव के जन्मदिन पर हमेशा उनसे मुलाकात करते रहे हैं। इस बार वह उस दिन उपलब्ध नहीं थी। इसी वजह से बाद में मिलने पहुंचे। इसके साथ ही राजा भैया ने मुलायम सिंह यादव को पूज्यनीय बताया था और गठबंधन के सवाल पर कहा था कि वह भाजपा को रोकने के लिए कुछ भी करेंगे। प्रतापगढ़ और कौशांबी क्षेत्र में राजा भैया का अपना सियासी दबदबा है। दबंग छवि वाले राजा भैया 1993 से लगातार कुंडा से विधायक चुने जा रहे हैं। लगातार वह भारी मतों से जीतने जा रहे हैं। कभी समाजवादी पार्टी तो कभी भाजपा के समर्थन से वह मंत्री भी बन गए हैं। कल्याण सिंह की सरकार हो या फिर राम प्रकाश गुप्ता या फिर राजनाथ सिंह की, इन सरकारों में मंत्री रहे हैं। इसके अलावा मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री काल में भी वह सत्ता में बने रहे। भाजपा हो या समाजवादी पार्टी, कुंडा से लगातार यह दोनों दल राजा भैया को वॉकओवर देते गए जिसकी वजह से उनकी सियासी राह आसान रही। हालांकि अब इसमें मुश्किल आ सकती है।
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