45 हाथियों के झुंड ने तोड़े 18 मकान, खा गए घरों में रखे अनाज, दहशत में ग्रामीण रातों को रहे जाग
छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले के कटघोरा वन मंडल के पसान वनपरिक्षेत्र में 45 हाथियों के दल ने जमकर उत्पात मचाया है। हाथियों ने एक ही रात में तीन गांव के 18 घरों को तोड़ दिया और घरों में रखे अनाज को भी चट कर गए। हाथियों की दस्तक से आसपास के गांवों में धान मिंजाई का काम भी बंद हो गया है। झुंड अभी बरबस पारा पहाड़ के निकट है। दिनभर जंगल में रहने के बाद हाथी रात को गांवों की तरफ आ रहे हैं। विभाग ने हाथियों की निगरानी के लिए वन कर्मियों की ड्यूटी लगाई है। वहीं ग्रामीणों को सुरक्षित जगहों पर जाने की समझाइश और हाथियों की मौजूदगी वाले इलाके में नहीं जाने मुनादी कराई गई है। दहशत की वजह से ग्रामीण रतजगा (रातभर जागना) कर रहे हैं।मिली जानकारी के मुताबिक हाथियों ने बीती रात बरबस पारा के 13, बलबहरा के तीन और मोहनपुर बगबुडी के दो मकानों को तोड़ा है। हाथियों ने घर में रखे धान व चावल को भी चट कर दिया है। वन कर्मियों ने बताया कि हाथी दिनभर जंगल में रहते हैं और रात होते ही गांव की तरफ आ जाते हैं। हाथी किसानों की बाड़ियों में लगी सब्जियों को भी बर्बाद कर रहे हैं। हाथी प्रभावित गांवों के बीटगार्ड ईश्वर मानिकपुरी ने बताया कि कर्मचारियों के साथ हाथियों पर नजर रखे हैं। गांव के लोगों को मिट्टी के मकान को छोड़कर स्कूल अथवा आंगनबाड़ी में जाने कहा गया है। वन कर्मियों ने बताया कि लगभग 45 हाथियों का दल क्षेत्र में विचरण कर रहे हैं। दल में तीन हाथी के बच्चे भी हैं। वन परिक्षेत्र अधिकारी धर्मेंद्र चौहान ने बताया कि हाथी गांव की ओर न आए इसलिए दल की निगरानी की जा रही है। हाथियों ने 18 आवासों को नुकसान पहुंचाया है।वन अफसरों के मुताबिक कटघोरा वन का पसान रेंज पिछले ढाई साल से हाथियों की समस्या से जूझ रहा। इस रेंज में जनवरी से अब तक हाथियों ने 300 से ज्यादा मकानों को नुकसान पहुंचाया है, जिनमें 120 से ज्यादा मकानों को पूरी तरह से ध्वस्त किया है। हाथियों की मौजूदगी से इस कड़कड़ाती ठंड में ग्रामीण रतजगा करने को मजबूर है। हाथियों का दल कब किस गांव की ओर रूख कर जाए इसका ठिकाना नहीं। वहीं ग्रामीणों का कहना है कि स्कूल और आंगनबाड़ी में ठहराया तो जा रहा है, लेकिन घर की चिंता रहती है। दिनभर कामकाज करने के बाद रात को ठीक से नींद भी पूरी नहीं कर पा रहे हैं।
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