हेलीकॉप्टर और तोप से नहीं नागरिकों से मजबूत होता है देश: राहुल गांधी

  


कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने पीएम नरेंद्र मोदी पर सीधा हमला बोलते हुए कहा कि उनकी चिंता केवल दो-तीन उद्योगपतियों के हितों के साधने तक है। देश के आम आदमी, किसान, छोटे कारोबारियों की उन्हें कोई चिंता नहीं है। वर्ष 1971 के भारत-पाक युद्ध की पचास साल होने के उपलक्ष्य में परेड मैदान में आयेाजित विजय संकल्प रैली में राहुल ने कहा कि कृषि कानून, जीएसटी, नोटबंदी आदि सभी फैसले उद्योगपति मित्रों को लाभ पहुचाने के लिए बनाए गए हैं। आम आदमी जब अपनी गाड़ी में पेट्रोल भराता है तो उस पर लगने वाला टैक्स सीधा पीएम के उद्योपति मित्रों की जेब में चला जाता है। देश हेलीकॉप्टर, जहाज, तोप से मजबूत नहीं होने वाला। देश मजबूत तब होगा देश का हर नागरिक मजबूत होगा।आज देश को बांटा जा रहा है। भाई को भाई से लड़ाया जा रहा है। भाई भाई को डरा रहा है। वर्ष 1971 में हमने पाकिस्तान को इसलिए 13 दिन में हरा दिया था क्योंकि पूरा देश एक था। अमेरिका को 20 साल लग गए थे अफगानिस्तान में। जबकि भारत ने एकता के बल पर पाक को चंद दिनों में पराजित कर उसक दो दो टुकड़े कर दिए थे। राहुल ने उत्तराखंड की जनता से वादा किया कि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आने पर रोजगार के अवसर सृजित किए जाएंगे। छोटे-मंझोले कारोबारियों के हितों की रक्षा की जाएगी। किसान के हितों की रक्षा होगी और उसी के अनुसार कानून बनाए जाएंगे। करीब 27 मिनट के भाषण में राहुल ने जहां पीएम मोदी, कुछ उद्योगपतियों पर जमकर निशाना साधा। वहीं वो उत्तराखंड के साथ अपने अपने परिवार के बलिदान के रिश्ते के आधार पर नात जोड़ते रहेराहुल ने कहा कि वर्ष 1971 की जंग में इंदिरा की भूमिका सभी को पता है। पर आज, जिस महिला ने अपने देश के लिए 32 गोलियां खाई। आज बांग्लादेश के गठन को लेकर दिल्ली में हो रहे कार्यक्रम में इंदिरा जी का नाम तक नहीं लिया जा रहा है।राहुल ने कहा कि उत्तराखंड के साथ मेरा कुर्बानी का रिश्ता है। मेरी दादी, मेरे पिता देश के लिए शहीद हुए। मैं वो दिन नहीं भूल सकता जब स्कूल में मुझे सूचना मिली कि मेरी दादी को 32 गोलियां लगी हैं। आपके घरों में भी अक्सर सूचना आती हैं कि पापा नहीं रहे। चाचा नहीं रहे। आपके बलिदान को मैं और मेरे परिवार के बलिदान को आप गहराई से समझ सकते हैं। इस बात को वो नहीं समझ सकते जिनका बलिदान से कोई रिश्ता नहीं रहा।

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