सावधान: कई कंपनियां कत्था की जगह मिला रहीं केमिकल गैंबियर
किसी भी हाल में इंसानी जीवन सुरक्षित नहीं है। कम पैसे लगाकर ज्यादा की भूख ने इंसान को ही इंसान का दुशमन बना दिया है। आलम ये है कि न तो दूध ही असली है और न ही खाद्य सामग्री,मिलावट खोरों ने अब इंसानी जीवन पर दांव लगाना शुरू कर दिया है। ये कोई नई खबर नहीं है लेकिन आपके स्वास्थ और सुरक्षा से जुड़ी है इसलिए ये दायित्व बनता है कि लोगों को स्वास्थ के प्रति जागरूक किया जाये। आपको बता दें कि अब पान मसाले में कई कंपनियां कत्था का इस्तेमाल न करके चमड़े को रंगने वाले केमिकल गैंबियर को मिला रही हैं। जानकारी के अनुसार अलीगढ़ में खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एफएसडीए)द्वारा लिए गए शिखर, प्रधान व पानबहार मसालों के नमूनों की रिपोर्ट में इसकी पुष्टि हुई है। केमिकल गैंबियर कानपुर की टेनरियों में चमड़े को रंगने में इस्तेमाल किया जाता है।
ये चेतावी हर गुटखे पर लिखी होती है कि पान मसाले के सेवन से कैंसर हो सकता है। बावजूद इसके लोग इन जानलेवा चीजों का खूब सेवन करते हैं। आपको बता दें कि जिस पानमसाले में कत्था, केसर समेत अन्य पदार्थों के मिलाने का दावा किया जाता है उस दावे को लेकर हैरान कर देने वाला वाला खुलासा अलीगढ़ में एफडीए द्वारा अक्तूबर 2021 में लिए पान मसाले की नमूना रिपोर्ट में हुआ है। विभाग द्वारा एक एजेंसीज के यहां से शिखर, प्रधान व पानबहार पान मसाले का नमूना भरकर लेब्रोट्ररी में जांच के लिए भेजा गया था। अब लैब से आई रिपोर्ट में पान मसाले में कत्थे का मिश्रण नहीं पाया गया है बल्कि उसमें चमड़े को रंगने में प्रयोग किए जाने वाले गैंबियर केमिकल मिलाने की पुष्टि हुई है। बहरहाल इस मामले में कंपनियों को नोटिस जारी किया जा रहा है।
ये कैमिकल गैंबियर इंडोनेशिया में बबूल के जंगलों की तरह फैला हुआ है। यह केमिकल पेड़ की छाल, पत्तियों और जड़ को पीसकर बनाया जाता है। भारत आयात होने से पहले इस तरल पदार्थ में कई चरणों में रसायनों को भी मिलाया जाता है। आपको बता दें कि गैंबियर का इस्तेमाल कच्चे चमड़े को पकाने मे किया जाता ।
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