चुनावी रण में अपने ही चक्रव्यूह में फंस रहे पहाड़ के सियासी सिपहसलार
देवभूमि उत्तराखण्ड में चुनावी बिगुल बज चुका है । जिनके कांधे पर देवभूमि की समस्त सीटों पर विजय पताका फहराने की जिम्मेदारी है वो ही सियासत के सिपहसलार अपने किले के चक्रव्यूह में फंसे हुए हैं। जाहिर है ये सिपहसलार राज्य की अन्य विधानसभा सीटों पर पार्टी उम्मीदवारों के पक्ष में समर्थन जुटाने के लिए किले से बाहर निकल ही नहीं पा रहे हैं। इन सिपहसलारों में खुद सी.एम धामी खटीमा, पूर्व सीएम हरीश रावत लालकुआं और आम आदमी पार्टी से कर्नल अजय कोठियाल गंगोत्री विधानसभा में बुरी तरह फंसे हुए हैं।
गौरतलब है कि भारतीय जनता पार्टी उर्जावान और युवा सी.एम धामी के नाम पर चुनाव लड़ रही है। जैसा की धामी खटीमा से चुनाव लड़ रहे हैं धामी यहां से वे लगातार दो बार विधायक चुने गये हैं लेकिन इस बार यहां से कांग्रेस के भुवन कापड़ी और आप के एसएस कलेर चुनावी रण में हैं। धामी के ऊपर पार्टी को दोबारा सत्ता में लाने की बहुत बड़ी जिम्मेदारी है लेकिन धामीको सबसे बड़ी फिक्र और चुनौती अपने किले को बचाने की है इसलिए उनका दिल खटीमा में है और कदम विधानसभा क्षेत्रों में हैं। धामी पिछले कई दिनों से खटीमा में ही डटे हुए हैं। हालांकि फुरसत मिलते ही वे अपने किले से बाहर निकलते हैं लेकिन दिल खटीमा में ही लगा रहता है।
गौरतलब है कि कांग्रेस प्रचार समिति के अध्यक्ष व पूर्व सीएम हरीश रावत लालकुआं विधानसभा सीट से चुनावी रण में हैं। यहां से भाजपा के मोहन सिंह बिष्ट, कांग्रेस से बगावत कर संध्या डालाकोटी निर्दलीय चुनाव लड़ रही हैं। हरीश रावत पर 70 सीटों पर पार्टी की जीत का दारोमदार है। लेकिन वे लालकुआं से बाहर ही नहीं निकल पा रहे हैं। पार्टी से बगावत करने वाली संध्या डालाकोटी के साथ भाजपा से लालकुआं के चक्रव्यूह में फंसे हैं।
वहीं आम आदमी पार्टी ने कर्नल अजय कोठियाल को अपनी पार्टी का सीएम चेहरा घोषित किया है। उत्तरकाशी जिले को अपनी कर्मभूमि मनाने वाले कोठियाल गंगोत्री सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। इस सीट से कांग्रेस के विजय पाल सजवांण और भाजपा से सुरेश चौहान चुनावी रण में हैं। कोठियाल पहली बार चुनाव मैदान में अपना भाग्य आजमा रहे हैं। उनके सामने गंगोत्री से सियासी सर्जिकल स्ट्राइक कर मिथक तोड़ने की चुनौती है। गांव-गांव जाकर लोगों से संपर्क करने में जुटे हैं।
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल खुद श्रीनगर विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में हैं। उनका मुकाबला भाजपा प्रत्याशी व कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत से है। कांग्रेस की सत्ता में वापसी और खुद का किला बचाने के लिए वे दोहरे प्रेशर में हैं। गोदियाल भी प्रचार के लिए अपने क्षेत्र में ही सिमट कर रह गए हैं। अगर हम बात करें भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक की तो उनके कदम भी धर्मनगरी के चुनावी रण समर से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं। हरिद्वार सीट पर कौशिक का मुकाबलां कांग्रेस के सतपाल ब्रह्मचारी से है। प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन के वक्त कौशिक को कैबिनेट मंत्री पद से हटाकर संगठन में बतौर प्रदेश अध्यक्ष की बड़ी जिम्मेदारी दी गई थी । बतौर प्रदेश अध्यक्ष उनका यह पहला विधानसभा चुनाव है, लेकिन कौशिक भी अपने किले को महफूज करने में ही समय दे रहे हैं। गौरतलब है कि पहाड़ से पलायन उत्तराखंड में एक बड़ा मुद्दा रहा है, लेकिन प्रदेश की सियासत में तीन अलग-अलग पार्टियों का नेतृत्व कर रहे नेताओं के फैसले से इसे समझा जा सकता है। दरअसल, कांग्रेस के चुनाव का नेतृत्व कर रहे हरीश रावत लालकुआं विधानसभा सीट से मैदान में हैं और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी खटीमा विधानसभा सीट से मैदान में हैं। यह दोनों सीटें ही मैदानी इलाके की मानी जाती हैं। हालांकि आम आदमी पार्टी के सीएम पद के उम्मीदवार कर्नल (रिटायर्ड) अजय कोठियाल ने पहाड़ की गंगोत्री विधानसभा सीट से ताल ठोकी है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि ज्यादातर बड़े नेता पहाड़ के बजाए मैदानी सीटों में अपनी जीत को ज्यादा मानते हैं।
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