आलेख: तनाव से मुक्ति दिलाता है योग



सलीम रज़ा //


आज की इस भागदौड़ भरे जीवन में कोई भी वयक्ति अपने खान-पान को लेकर बेहद गैर जिम्मेदार है। आपके देखा होगा कि समय की अतिव्स्तता के कारण इंसान अपनी भूख शान्त करने के लिए उल्टा-सीधा खाना खा लेता है, नतीजा ये होता है कि उस वक्त उसकी भूख शान्त तो हो जाती है लेकिन खाया गया खाना उसकी सेहत पर कितना प्रतिकूल प्रभाव डालता है इसका उसे अन्दाजा ही नहीं होता है। इसमें कोई शक नहीं है कि आज हम पूरी तरह से पाश्चात्य सभ्यता के गुलाम हो चुके है,ं हमने अपने भारतीय खाने को नजर अन्दाज करके विदेशी डिशों को अपना लिया है ये ही वजह है कि लोगों के रूझान को देखते हुये रेस्टोरेन्ट में फास्ट फूड के नाम पर बिकने वाले पिज्जा,बर्गर,चाउमिन,तला भुना खाना और शीतल पेय पदार्थों को परोसते हैं जो किसी भी तरह से हमारे स्वास्थ के लिए अच्छा नहीं है। दूसरी सबसे बड़ी बात ये है कि हमने अपनी जीवन शैली को भी बिल्कुल बदल कर रख दिया है आराम तलबी के चलते लोगों ने घर के खाने से बचने के लिए होटलों के खाने को तरजीह देना शुरू कर दी जिसमें मसालों की अधिकता के चलते हम बीमारियों को दावत दे रहे हैं। हमारे खान-पान का असर हमारे आने वाली नस्लों पर भी पड़ रहा है ये ही वजह है कि पैदा होने वाले बच्चे युवा अवस्था में ही गम्भीर बीमारियों के शिकार होने लगे हैं। अगर हमे अपना शरीर सवस्थ और निरोग रखना है तो हमें नियमित रूप से योगा करना चाहिए।  योगा हमारे शरीर को न सिर्फ स्वस्थ रखता है वल्कि निरोग भी बनाता है । योग की शुरूवात संयुक्त राष्ट्र सध ने की थी संयुक्त राष्ट्र संघ ने सन् 2014 में 21 जून को योग दिवस मनाने का फैसला लिया गया था। योग के लब्ज़ी मायने है ‘‘एकता’’ आज योग दुनिया के तकरीबन हर देश में प्रचलित हो गया है।


 योग विद्या कोई नई नहीं है वल्कि वेदों में भी इसका उल्लेख मिलता है साथ ही सिन्धु धाटी में प्राप्त मूर्तियों में भी योग दिखाई देता है। आज स्कूलों में भी योग की विधिवत कक्षायें चलाई जा रही हैं। योग के कई प्रकार हैं जैसे मंत्रयोग, कुंडलनी योग, हठयोग और राजयोग सबसे पहले मंत्रयोग के बारे में बात करते हैं मंत्र योग में मन पर काबू किया जाता है क्योंकि मन से पैदा होने वाली स्वस्थ तरंगें हमारे शरीर को लाभ पहुचाती हैं। कुंडलनी योग वो योग है जिसमें मनुष्य के दिलो दिमाग में हर वक्त ईश्वर का ध्यान रहता है कहने का मतलब है कि मनुष्य खाते पीते उठते-बैठते चलत-फिरते हर समय ब्रहम लीन रहता है। हठयोग में आठ तरह के योग होते हैं प्राणायम,प्रत्याहार, धारणा, ध्यान,यम, आसन,नियम और भ्रमध्येयहरिम व समाधि होते हैं। राजयोग में मन की इच्छाओं पर काबू करना है योग करने के भी कुछ नियम होते हैं योग सुबह के समय स्नान करने के बाद करना अति उत्तम होता है। हमेशा योग सूती कपड़े पहनकर और खाली पेट ही करना चाहिए योग करने के तकरीबन आधे घण्टे बाद ही कुछ खाना चाहिए। इस बात का स्मरण रखना चाहिए कि योग के लिए स्थान का सतर्कता से चयन करना चाहिए और योग के लिए चटाई या मैट का प्रयोग करना चाहिए। 


योग बगैर किसी प्रशिक्षित योगाचार्य के दिशा-निर्देशन में ही करना चाहिए। आजकल सिर्फ टी.वी. में देखकर लोग उसकी नकल करके योग करना शुरू कर देते हैं जबकि ये पूरी तरह से खतरनाक है क्योंकि बगैर प्रशिक्षण के लोग अपने शरीर के अंगों को क्षमता से ज्यादा मोड़ देते है,ं जबकि योग जल्दी जल्दी नहीं करनी चाहिए योगा को आराम से करना चाहिए योगा में श्वास को भी हल्के-हल्के छोड़ना चाहिए अमूमन देखा जाता है कि कुछ लोग जल्दी-जल्दी कपाल भांति, अनुलोम और विलोम योगासन करते है उन्हें लगता है कि उन्हें इसे करने से कुछ ही दिनों में फायदा होगा लेकिन ऐसा नहीं है योगा को आसानी के साथ और नियमित तरीके से करना चाहिए। नियमित योग करने से हाई ब्लड प्रेशर , सांस की बीमारी ,गठिया रोग,मधुमेह जैसी बीमारियों से छुटकारा मिलता है वही शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता में भी इजाफा होता है। योग में हर रोग के लिए आसन हैं जैसे कपालभांति प्रणायाम और सूर्य नमस्कार जैसे आसनों से अपने वजन को घटाया जा सकता है। आज की व्यस्ततम जिन्दगी में ज्यादातर इंसान चिड़चिड़ा और तनावग्रस्त हो गया है इसका नतीजा ये हुआ कि इंसान के अन्दर उच्च रक्तचाप मधुमेह अवसाद और दिल की बीमारियां जन्म लेती है। लिहाजा योग के द्वारा अवसाद और डिप्रेशन से बचा जा सकता है। योग ऐसी चीज है कि इसके करने से हमारे शरीर में उर्जा का संचार होता है अनियमित खान-पान और अशुद्ध खाने की वजह से आजकल लोगों में कमजोरी और थकान सी महसूस करते हैं योग करने से इन सारी बातों से छुटकारा मिल सकता है।

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