हर घर तिरंगा, हर घर महंगाई बेरोजगारी का झंडा

                                                                        सारिका प्रधान ///


जादी का जश्न मनाना भारत के हर नागरिक का कर्तव्य होता है। न जाने कितने वीर जवानों की शहादत के बाद हमें ये दिन देखने को मिला है। बहरहाल इस साल हमारे देश की भाजपा नीत सरकार आजादी के 75 साल पर आजादी का अमृत महोत्सव मना रही है। सरकार ने इस क्रम में 13 तारीख से 15 तक हर घर तिरंगा फहराने का अभियान चलाने की घोषणा करी है।

अच्छी बात है देश के अन्दर हर घर पर भारत की आन,वान,शान का प्रतीक तिरंगा लहराये। लेकिन मेरे मन में एक सवाल उठता है, कि क्या इन आठ सालों में हर आदमी अपने आपको आजाद समझ रहा है। क्या हमारे कंठ से निकलने वाली आवाज स्वतंत्र है। क्या हमें अपने आस्तित्व अपनी आवाज को बुलंद करने की आजादी है। अफसोसजनक बात है कि आज देश का हर नागरिक अपने जीवन यापन के लिए ही जंग लड़ रहा हो तो फिर आजादी कैसी। लोकतंत्र तो सिर्फ नाम का ही रह गया है जिसका नामकरण इस सरकार ने वोटतंत्र कर दिया।

इन आठ सालों में भारत की भाजपा नीत सरकार ने मध्यमवर्गीय और गरीब की जीना दूभर कर दिया है, मंहगाई अपने चरम पर है देश का नौजवान बेरोजगारी के चलते अवसाद में है फिर इस तरह की बाते करके सरकार ज्वलनशील मुद्दों से देश के नागरिक का ध्यान क्यों भटकाना चाहती है। हमारे देश में एक बहुत बड़ा वर्ग गरीबों का हे जिनको इस समय मंहगाई के चलते दो वक्त की रोटी जुटाना किसी सपने से कम नहीं है फिर वो कैसे समझे कि हम आजाद हैं। देश आजाद जरूर है लेकिन एक बड़ा वर्ग आज भी सामंतवादी सरकार का गुलाम है।

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