शानः मदरसा इसलाहुल बनात जामिया खदीजतुल कुबरा
सैदपुर /बदायूं/ यूं तों दीन की खिदमत करना और उसके लिए नई नस्ल को तैयार करना कोई आसान काम नहीं है। इस काम मदरसा टीचर और मदरसा छात्रों दोनों को ही आना सौ फीसद देना होता है। ये बात मुकम्मल तौर पर सही है कि मदरसों से पैदा होने वाली नई नस्ल की तालीम और तरबियात की पूरी ज़िम्मेदारी मदरसे के शिक्षकों पर आती है। स्कूलों के मुक़ाबले मदरसे में पढ़ने वाले बच्चे 8-10 साल,दिन.रात मदरसा शिक्षकों की निगरानी में गुज़ारते हैं।
इसलिए ये जिम्मेदारी बच्चे के मां-बाप से ज़्यादा मदरसा टीचरों की होती है। इसका लिए बहुत जरूरी होता है कि मदरसा के शिक्षकों को खुद इलाकाई लोगों की मदद से ऐसे समाज सुधार के आंदोलनों की बुनियाद डालनी चाहिए और सबसे पहले अपने इलाकों से समाज सुधार के ज़रिए समाजी बुराईयों को खत्म करने की कोशिश करनी चाहिए। क्योंकि से सब जानते है कि हर चीज़ अपने घर से शुरु करनी चाहिए। इस्लाम का सुधार फार्मुला भी इसी सच्चाई को मानता है कि पहले अपने घर,मुहल्ले और इलाके में सुधार की कोशिश करो।
ऐसा ही एक मदरसा है ज़िला बदायूं के क़स्बा सैदपुर में इसलाहुल बनात जामिया खदीजतुल कुबरा सैदपुर है इसके सरपरस्त ए आला है जनाब मौलाना मुमताज़ खान सैदपुरी , आपको जानकर खुशी होगी कि इस मदरसे में 150 से ज़्यादा निसवां यानी लड़कियों को तालीम दी जा रही है और इसमें लगभग 70से 80 लडकिया होस्टल में रहती है जिनके रहने सहने खाना खर्चा और किताबे कपड़े वगैरह का खर्चा ये इदारा संभाल रहा है।
यहां इन्होंने एक लाईब्रेरी भी बना रखी है जिसमे बुखारी शरीफ की सारी जिल्द,मुस्लिम शरीफ और दीगर अहादीस भी आम जनता के लिए है। आप जिनको जब चाहे पढ़ने के लिए लेकर आ सकते है।। कोई भी दीनी दुनियावी सवालात मालूम कर सकते है। आज इदारे पर मदरसा बोर्ड के सर्वे के लिए जीशान सिद्दीकी सर्वे अधिकारी ने इदारे का दौरा किया साथ में शाहिद हुसैन भी थे।। जिनको सरपरस्त ए आला ने बुखारी शरीफ की एक जिल्द नज़र की। ये इदारा बस्ती में तालीम के लिए नई पहचान बना रहा है।
अल्लाह तलाआ इस इदारे को मजीद तरक्की अता फरमाए,आमीन
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