राष्ट्रीय स्तर पर स्वच्छता में उत्तराखंड टाँय-टाँय फ़िस
देहरादून :ये खबर सुनकर जरूर दिमाग को झटका लगेगा कि स्वच्छता मामले में भले ही उत्तराखण्ड को 6 अवार्ड मिल गये हों लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर स्वच्छता को लेकर उत्तराखण्ड के शहरों के हालात ठीक नहीं हैं। भले ही इस ग्रहण से देहरादून और काशीपुर बच गया हो लेकिन और शहर के हालात खराब ही हैं। स्वच्छता सर्वेक्षण में रैंकिंग की बात करें तो राजधानी देहरादून पन्द्रह पायदान ऊपर आया और 69 नम्बर पर आकर टिक गया आपको बता दें कि गत बर्ष देहरादून स्वच्छता सर्वेक्षण की रैंकिंग में 84 वें पायदान पर था ।
इसी तरह से काशीपुर की रैंकिंग में भी सुधार आया और पिछले साल की 339 पायदान से ऊपर उठकर 304 पर आ गया है। लेकिन रुड़की शहर की रैंकिंग में गिरावट दर्ज हुई ये गत बर्ष 100 वें नम्बर पर था लेकिन पिछड़ते हुए 134 पर पहुंच गया है। हल्द्वानी शहर के भी हाल स्वच्छता सर्वेक्षण में ठीक नहीं हैं।ये भी घटती रैंकिंग का श्किार है जो पिछले साल 279 पर था अब गिरकर 282 पर पहुंच गया है। ये ही हाल रुद्रपुर का है जो पिछले साल 255 नम्बर पर था इस साल गिरकर 277 पर पहुंच गया । अगर सबसे ज्यादा सवच्छता के मामले में हाल खराब है तो वो है धर्मनगरी हरिद्वार के इस शहर की रैंकिंग पिछले साल 279 थी जो अब 51 नम्बर गिरकर 330 पर आ गई।
गौर करने लायक बात है कि स्वच्छता के मामले में उत्तराखंड के अपने बड़े-बड़े दावे हैं साथ ही 6 अवार्ड मिलने की खुशी भी लेकिन हकीकत तो कुछ और ही बयां कर रही है। कितने अफसोस की बात है कि नगर निगमों की तरफ से आज तक उत्तराखण्ड में 100 फीसदी डोर.टू.डोर कूड़ा उठाने की व्यवस्था नहीं हो पाई। हर महीने निकलने वाले लाखों टन प्लास्टिक वेस्ट के निपटारे के लिए एक अदद वेस्ट टू एनर्जी प्लांट या अन्य कोई समाधान नहीं हो पाया। आलम ये है कि कई ऐसे शहर हैं जहां कूड़े के ढेर बढ़ते ही जा रहे हैं।
सॉलिड वेस्ट के निस्तारण की योजनाएं भी हवा हवाई हैं जो सिर्फ कागजी घोड़ेदौड़ा रही हैं। सरकार ने गंगा टाउन की जो श्रेणी बनाई थी,उसमें गंगा घाटों की सफाई को आधार बनाया गया था। अगर हम स्वच्छता रिपोर्ट पर गौर करें तो पायेंगे कि सर्वेक्षण के दौरान दो घाटों को ही शामिल किया गया था इसलिए दोनों घाटों पर सफाई मिली खुले में कूड़ा नहीं मिला और कूड़ेदान रखे हुए मिले। घाटों के आसपास गंगा में कहीं भी कूड़ा बहता हुआ नजर नहीं आया लेकिन शहर की बात करें तो रैंकिंग देख लीजिए कि स्वच्छता में धर्मनगरी का क्या हाल है।
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