11 साल के बच्चे ने खुद लिखी अपने अपहरण की स्क्रिप्ट
हरिद्वार: फिल्म,मोबाईल और इन्टरनेट की दुनिया ने बच्चों को इस कदर अपने जाल में जकड़ लिया है जिससे निकलना मुश्किल ही नामुमकिन है। मोबाईल और इन्टरनेट ने बच्चों को दिगभ्रमित किया है ये कहना ठीक नहीं होगा लेकिन बच्चे उन चीजों की सर्फिंग करते है जो उनकी उम्र से कहीं ज्यादा होती है। आपने देखा होगा कि यू-टयूब पर कई ऐसे विडियोज होते हैं जो अपराधों के बारे में लोगों को सतर्क करने के लिए होते हैं लेकिन आज के बच्चे उसका नकारात्मक पहलू अपनाकर उसकी प्रैक्टिस शुरू कर देते हैं उनके लिए तो मात्र एक नाट्य कला है लेकिन उन्हें नहीं मालूम की वो अपनी कला नहीं वल्कि अपराध कर रहे हैं।
ऐसा ही एक मामला सामने आया है धर्मनगरी हरिद्वार के ज्वालापुर कोतवाली क्षेत्र से जहां एक बैक्वेट हॉल संचालक के 11 वर्षीय बेटे ने अपने ही अपहरण की स्क्रिप्ट खुद लिख डाली। अपहरण की कहानी में बार-बार बयान बदलने पर आखिरकार उस कच्ची उम्र के बच्चे ने सच उगल ही दिया। उसने बताया कि ट्यूशन जाने से बचने के लिए उसने ऐसा किया। बच्चे की कहानी ने कुछ घंटे पुलिस को जरूर भटकाया पुलिस ने करीब दो दर्जन से ज्यादा सीसीटीवी कैमरे छाने गए लेकिन उनमें न तो बच्चा दिखा और न अपहरण करने वाले युवक।
रात तक पुलिस ने कहानी से पर्दा उठाते हुए स्पष्ट कर दिया कि ट्यूशन जाने से बचने के लिए उसने अपहरण की काल्पनिक कहानी बना ली। बच्चे ने पूछताछ में बताया कि वह परिजनों की डांट से नाराज और परेशान था,इसलिए ट्यूशन न जाने के लिए उसने यह सब कहानी बनाई। पुलिस के मुताबिक पीठ बाजार निवासी अनुराग झा के शहर में अलग-अलग जगहों पर तीन बैक्वेट हॉल हैं। उनका 11 वर्षीय बेटा देव कक्षा पांचवीं में पढ़ता है। देव पीठ बाजार में संगीता टॉकीज के समीप रोजाना साइकिल से ट्यूशन पढ़ने जाता है।
शुक्रवार शाम भी वह घर से साइकिल पर ट्यूशन के लिए निकला,लेकिन वह ट्यूशन नहीं पहुंचा। कुछ देर बाद उसने घर पहुंचकर बताया कि उसे चार लोगों ने उसका रास्ता रोक लिया।चारों युवक दो अलग.अलग दुपहिया वाहनों पर थे। दो युवकों ने उसे जबरदस्ती अपनी बाइक पर बैठा लिया। जबकि दूसरे बाइक का एक युवक उसकी साइकिल लेकर चला गया। चौथा युवक दूसरी बाइक से उनके पीछे आने लगा। देव ने पुलिस को बताया कि लोधमंडी में उसे युवक लेकर पहुंचे। जहां एक साधु रास्ते में खड़ा था। जिसे देखकर युवकों ने बाइक रोक दी। ]
युवक उससे बात करने लगे और साधु के चरण स्पर्श करने लगे। इसी बीच वह उनके चंगुल से निकल गया और किसी तरह बचकर घर पहुंचा। देव ने मां को इसकी जानकारी दी और पुलिस घटना के बारे में बताया। सूचना मिलते ही एसएसपी अजय सिंह ने तत्काल मामले की जांच करने के निर्देश दिए। ज्वालापुर कोतवाली प्रभारी ,एसएसआई अंशुल अग्रवाल,रेल चौकी प्रभारी सुधांशु कौशिक सहित तमाम पुलिसकर्मी उसके घर पहुंचे। बच्चे से पूछताछ की और उसके साथ ट्यूशन जाने वाले रास्ते का मुआयना किया।
पुलिस ने अलग-अलग स्थानों पर दो दर्जन से ज्यादा लगे सीसीटीवी को चेक किया लेकिन कहीं भी देव या उसके बताए युवक नजर नहीं आए। आपको बता दें कि बच्चा बार बार बयान बदलता रहा,जबकि देव घर साइकिल से पहुंचा था। जबकि कहानी में उसने बताया था कि उसकी साइकिल एक युवक लेकर चला गया था वह युवकों के चंगुल से कहां से भागकर आया उस जगह को भी नहीं बता सका। शंका होने पर पुलिस ने उससे पूछताछ की तो उसने सच उगल दिया। बताया कि ट्यूशन नहीं जाना चाहता है। मां की डांट और ट्यूशन जाने से बचने के लिए उसने झूठ बोला था।
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