देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में स्थित एशिया की सबसे बड़ी स्लम एरिया धारावी का अडाणी ग्रुप रिडेवलपमेंट करेगा। इस स्लम एरिया को संवारने का काम दुनिया के तीसरे सबसे अमीर शख्स गौतम अदाणी को दिया गया है। अगर आप मुंबई में कम खर्च में रहना चाहते हैं, तो धारावी रहने के लिए सबसे अच्छी जगह है। यहां पर लाखों दिहाड़ी मजदूर और छोटे कारोबारी रहते हैं।
इस जगह पर शिक्षा का स्तर और साफ-सफाई की स्थिति बेहद खराब है। अब अडाणी इंफ्रा इस धारावी को संवारने का काम करेगी। साल 2004 से धारावी के रिडेवलपमेंट का प्लान चल रहा था जिसे साल 2022 में टेंडर मंजूर किया गया है। मुंबई का दिल कहने जाने वाला धारावी को अंग्रेजों के समय बसाया गया था। अब यह दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी और एशिया की सबसे बड़ी बस्ती है। धारावी में कितने लोग रहते हैं इसका सही आंकड़ा नहीं है, लेकिन एक अनुमान के मुताबिक, इस बस्ती में 6 से 10 लाख लोग रहते हैं। एशिया की सबसे बड़ी बस्ती में 58 हजार परिवार और करीब 12 हजार कमर्शियल कॉम्प्लेक्स हैं।
अंग्रेजों ने 1882 में बसाया
अंग्रेजों ने एशिया की सबसे बड़ी बस्ती धारावी को मजदूरों को किफायती ठिकाना देने के मकसद से बसाया था। यहां धीरे-धीरे लोग आकर बसने लगे और यहां झुग्गी-बस्तियां बनती गईं। सबसे बड़ी बात यह है कि धारावी की जमीन सरकारी है, लोगों ने अपने पैसे खर्चे करके झुग्गी और बस्ती बनाई है।
550 एकड़ में फैली धारावी में झुग्गी-बस्तियों की संख्या इतनी है कि दूर से देखने पर जमीन नजर नहीं आती है। यहां पर एक किलोमीटर के क्षेत्र में दो लाख से अधिक लोग रहते हैं। आप इस बात से अंदाजा लगा सकते हैं कि यहां आबादी कितनी घनी होगी। इस बस्ती में एक 100 वर्ग फीट की झुग्गी में करीब 8 से 10 लोग एक साथ रहते हैं। कुछ झुग्गियों में घर और कारखाने भी हैं।
सबसे हैरान वाली बात यह है कि यहां पर 80 फीसदी लोग पब्लिक टॉयलेट का इस्तेमाल करते हैं। धारावी की झुग्गी-बस्ती में दिहाड़ी मजदूर के अलावा अपना कारोबार करने वाले लोग भी रहते हैं। इस बस्ती के दोनों तरफ रेलवे स्टेशन हैं। एक तरफ माहिम और दूसरी तरफ सायन रेलवे स्टेशन है। यहां से लाखों लोग आते-जाते हैं। मुंबई शहर में लोग फ्लैट और सभी सुविधाओं से लैस घरों में रहते हैं और यहां पर लोग तंग और गंदी बस्तियों में रहने को मजबूर हैं।
फिल्म से बढ़ी लोकप्रियता
साल 2008 में 'स्लमडॉग मिलियनेयर' फिल्म रिलीज हुई थी जिसके बाद इस इलाके की लोकप्रियता बढ़ गई। 'स्लमडॉग मिलियनेयर' फिल्म ने कई पुरस्कार भी जीते हैं। इसके बाद फिल्म गली बॉय में भी इस इलाको को दिखाया गया है। एशिया की सबसे बड़ी बस्ती को देखने के लिए कई टूरिस्ट आते हैं।
महामारिया भी धारावी को नहीं उजाड़ पाईं
इस इलाके में अधिक जनसंख्या होने की वजह से गंदगी भी रहती है। इसकी वजह से यहां बीमारियां भी फैलती रहती हैं। साल 1896 में दुनियाभर में फैलने वाले प्लेग का धारावी भी असर पड़ा। उस समय भी यहां पर रहने वालों लोगों की संख्या बड़ी थी। प्लेग खत्म होने के बाद करीब 25 साल तक यहां के लोगों ने अलग-अलग बीमारियों का सामना किया है। 1986 में फैले हैजा का असर भी यहां पर पड़ा। कोरोना की मार भी यहां के लोगों पर पड़ी, लेकिन लोगों ने लड़ाई नहीं हारी। यहां के लोगों ने महामारियों से लड़ाई लड़ी और जीत हासिल की।
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