ठेंगे पर कानून : राम रहीम पर बरस रही हरियाणा सरकार की ‘‘कृपा’’,14 महीनों और 133 दिन की पैरोल
कानून की नजर में गुरमीत राम रहीम इंसा कातिल भी है और रेपिस्ट भी। मगर हरियाणा सरकार की उसके लिए जो मोहब्बत है, वो कम होने का नाम ही नहीं लेती। अब कहने को तो कानून की नजर में सब बराबर होते हैं, लेकिन जिस तरह से हरियाणा सरकार बाबा को खुले हाथों से कभी फरलो तो कभी पैरोल के नाम पर रिहाई दे रही है, उसकी दूसरी मिसाल इस देश में कहीं और नहीं मिलती। पिछले 14 महीनों में चौथी बार और तीन माह में दूसरी बार गुरमीत राम रहीम जेल के बाहर है।अगर इस हिसाब से देखा जाए तो सजायाफ्ता रेपिस्ट बाबा अब तक 133 दिन आज़ाद रहा है। यानी राम रहीम को बेशक दो-दो बलात्कार और दो-दो कत्ल के मामलों में 20 साल की कैद से लेकर उम्र कैद तक की डबल सज़ा मिल चुकी हो, लेकिन वो इस साल फरवरी के अंत तक पैरोल और फर्लो की शक्ल में कुल 133 दिनों तक आजादी के मजे ले चुका होगा।
गुनहगार होने के बावजूद 133 दिनों तक चैन से खुली हवा में सांस ले चुका होगा। और अपने आश्रमों में बैठ कर 133 दिनों तक ना सिर्फ सारे जरूरी काम-काज इत्मीनान से निपटा चुका होगा, बल्कि बीच-बीच में अपनी गद्दी से समर्थकों को ज्ञान की घुट्टी भी पिला चुका होगा।अब एक ऐसे मुजरिम, जो एक नहीं कई-कई संगीन गुनाहों में सजायाफ्ता हो और अगर उसे यूं ही बार-बार अजीबोगरीब और बेतुके बहानों से जेल से बाहर आने की आजादी मिलती रहे, तो फिर सवालों का उठना तो लाजिमी है। और राम रहीम के पैरोल पर फिलहाल पंजाब और हरियाणा के सियासी महकमों में यही सवाल उठाए जाने लगे हैं।ये पिछले 14 महीनों में चौथा जबकि तीन महीनों में दूसरा मौका है, जब राम रहीम पैरोल पर जेल से बाहर निकला है। इससे पहले वो आखिरी बार 14 अक्टूबर से 25 नवंबर तक 40 दिनों के पेरोल में बाहर रह चुका था।
राम रहीम के पैरोल पर शिरोमणि अकाली दल से लेकर शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने सख्त ऐतराज जताते हुए ये कहा है कि एक तरफ राम रहीम को बार-बरा पैरोल पर पैरोल मिल रही है, जबकि दूसरी ओर अनगिनत सिख मुजरिम सजा पूरी होने के बावजूद जेलों में अपनी एडियां रगड़ रहे हैं। हालांकि हरियाणा के जेल मंत्री रंजीत सिंह चौटाला ने राम रहीम को मिले पैरोल में किसी भी तरह से कानून की अनदेखी करने की बात से इनकार किया है। जेल मंत्री चौटाला का कहना है कि गुरमीत राम रहीम के परिवार ने इस बार उनके पैरोल के लिए सरकार को अर्जी दी थी, जिसे रोहतक के डिविजल कमिश्नर को विचार के लिए सौंप दिया गया था।
किसी भी दूसरे कैदी की तरह पैरोल हासिल करना राम रहीम का भी अधिकार है और 3 से पांच साल की सजा पूरी होने के बाद कोई भी कैदी अपना हक मांग सकता है। हालांकि, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने इस बार राम रहीम को पैरोल मिलने की बात से खुद को अंजान बताया है।अब सवाल ये है कि आखिर राम रहीम को इतनी आसानी से और बार-बार पैरोल मिलती कैसे है? पैरोल लेने के लिए वो सरकार के सामने क्या-क्या और कैसे-कैसे बहाने पेश करता है? तो इसका जवाब जानने के लिए उसके अब तक के पैरोल के लिए दी गई अर्जियों पर निगाह डालने की जरूरत है। और इन अर्जियों में उसने अब तक जो दलीलें पेश की हैं, उनमें-
- बीमार मां को देखने
- अपनी गोद ली हुई बेटियों की शादी करने
- अपने खेतों की देखभाल करने से लेकर
- पूर्व डेरा प्रमुख शाह सतनाम की जयंती मनाने जैसी वजहें शामिल हैं।
कमाल ये है कि हर बार हरियाणा सरकार उसकी हर अर्जी पर बड़े ही फराखदिली से उसे पैरोल देती रही है। राम रहीम के पैरोल को लेकर सरकार पर सवाल इसलिए भी उठाए जाते रहे हैं, क्योंकि पिछले साल राम रहीम को जितनी बार पैरोल मिली, पंजाब या हरियाणा में कोई ना कोई चुनाव जरूर था और ऐसे में सवाल उठाया जाने लगा कि कहीं सत्ताधारी पार्टी चुनावी फायदे के लिए तो राम रहीम को बार-बार पैरोल नहीं दे रही?साल 2022 में राम रहीम सबसे ज्यादा कुल 91 दिनों तक पैरोल पर जेल से बाहर रहा।
इनमें वो फरवरी में 21 दिनों तक पैरोल पर रहा, तब पंजाब में विधान सभा चुनाव होनेवाले थे। इसके बाद वो फिर से जून में 30 दिनों के लिए बाहर आया तब हरियाणा में नगरपालिका चुनाव थे, इसके बाद वो अक्टूबर में फिर से 40 दिनों के लिए पैरोल पर बाहर आया और तब हरियाणा के आदमपुर और हिमाचल प्रदेश में विधान सभा चुनाव होनेवाले थे। कुल मिलाकर, सरकार अपने-आप को पैरोल से बेशक अलग दिखाती रही, पेरोल के टाइमिंग को लेकर सरकार पर सवाल उठते रहे हैं।साल के पहले ही महीने यानी इस बार मिले चालीस दिन के पैरोल के बाद राम रहीम 22 जनवरी को रोहतक के सुनारिया जेल से बाहर निकला और सीधे हरियाणा से उत्तर प्रदेश के अपने बागपत के आश्रम में पहुंचा, जहां वो 25 जनवरी को आश्रम के पूर्व डेरा प्रमुख शाह सतनाम की जयंती समारोह मनाएगा। राम रहीम की गोद ली हुई बेटी हनीप्रीत इस बार भी उसे लेने रोहतक के सुनारिया जेल पहुंची। इधर, वो जेल से बाहर निकला और उधर उसके समर्थकों और चाहनेवालों ने बाबा के बाहर आने की खुशी में अलग-अलग कार्यक्रमों की शुरुआत कर दी।
हरियाणा में जगह-जगह राम रहीम के चाहनेवालों ने सफाई अभियान चलाया और इन अभियानों में सत्ताधारी पार्टी यानी बीजेपी के तमाम नेताओं के साथ-साथ मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के प्रतिनिधि तक ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। उधर, बागपत के बरनावा आश्रम पहुंचते ही राम रहीम ने नए सिरे से वीडियो मैसेज जारी कर जहां अपनी खुशी का इजहार किया, वहीं अपने चाहनेवालों से आश्रम आने की जगह अपने-अपने घरों में बैठ कर ही खुद के दर्शन कर लेने की सलाह भी दे डाली।रेपिस्ट बाबा राम रहीम, सिरसा के अपने आश्रम में दो महिला अनुयायियों से बलात्कार के मामले में 20 साल की कैद की सजा काट रहा है। राम रहीम को पंचकूला की एक विशेष सीबीआई अदालत ने अगस्त 2017 में मामले में दोषी करार दिया था और सजा सुनाई थी। इसके अलावा गुरमीत राम रहीम को पूर्व डेरा प्रबंधक रंजीत सिंह की हत्या के मामले में भी कोर्ट ने उम्र कैद की सजा सुनाई है। जबकि उस पर एक पत्रकार रामचंद्र छत्रपति के कत्ल का जुर्म भी साबित हो चुका है और वो इस मामले भी सजायाफ्ता मुजरिम है।
अब राम रहीम एक बार फिर से जेल से बाहर है। आश्रम पहुंचते ही तलवार से केक काटने जैसी अजीबोगरीब हरकतें कर रहा है। ऐसे में जिन लोगों के कत्ल या जिनसे बलात्कार के जुर्म में राम रहीम को सजा मिली है, उनके दिल पर क्या गुजर रही है। ये आसानी से समझा जा सकता है।अब बात पैरोल और फर्लो से जुडे नियम कानूनों की। पैरोल सजा पूरी होने से पहले गुनहगार को जेल से मिली कुछ दिनों की रिहाई होती है। जिसके लिए अच्छा व्यवहार भी एक शर्त है। इसके लिए कैदी को जेल से बाहर निकलने के लिए जरूरी वजह बतानी पड़ती है और सरकार आखिरी फैसला करती है। जबकि फर्लो जेल में लंबे वक्त से सजा काट रहे कैदियों को दी जानेवाली एक छुट्टी है, जिसका वजह से कोई सीधा लेना देना नहीं है। इसे एक कैदी का अधिकार माना जाता है।
हरियाणा सरकार ने पिछले साल अपने पैरोल से जुड़े कानून में भी तब्दीली की है। ऐसे में सवाल ये भी उठाए जाने लगे हैं कि कहीं सरकार ने जानबूझ कर राम रहीम को फायदा पहुंचाने के लिए तो अपने कानून में तब्दीली नहीं की? पैरोल को लेकर 11 अपरैल 2022 में हरियाणा सरकार ने एक नया कानून बनाया। जिसका नोटिफिकेशन 19 अप्रैल को जारी किया गया। इसके बाद से राम रहीम को जल्दी-जल्दी पैरोल मिलने लगी।असल में हरियाणा सरकार गुरमीत राम रहीम को हार्ड कोर क्रिमिनल नहीं मानती, हाई कोर्ट ने भी इस पर मुहर लगाई है।
लेकिन भविष्य में राम रहीम को किसी तरह कोर्ट हार्डकोर क्रिमिनल घोषित भी कर देती है तो उसे कुछ शर्तों के साथ पैरोल मिल जाएगी। जबकि 1988 से लेकर नए कानून के बनने तक यानी 34 सालों के बीच किसी हार्डकोर क्रिमिनल को पैरोल या फर्लो देने के लिए कानून नहीं था। पर 2022 वाले इस नए कानून में कुछ शर्तो के साथ पैरोल मिल सकती है। शायद यही वजह है कि नए 2022 वाले कानून को राम रहीम के लिए बेहद आसान कहा जा रहा है। उसके पक्ष में बनाए जाने को लेकर सवाल उठ रहे हैं।
Sources:AajTak
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