समीक्षाःजिम्मेदारी बोझ नहीं बल्कि इंसान को बेहतर बनाने की सर्वोत्तम विधि

 


कहा जाता है कि जब इरादे हो बुलंद तो मुश्किलें नहीं करती हैं तंग। जी हाँ संदीप का व्यक्तित्व इस कथन को भलीभांति चरितार्थ करता है। संदीप एक बेहद सामान्य परिवार से आते हैं। इनका जन्म बिहार राज्य के मुजफ्फरपुर जिले के सिमरा गाँव में हुआ है। संदीप ने पिता श्री के देवलोक ग़मन के उपरांत कई मुश्किलों से सामना किया है पर संदीप ने हार ना मानने की जिद की। और इसी का परिणाम है कि संदीप अपने जीवन में मुश्किलों के समक्ष घुटने ना टेकने का नाम लेकर आगे बढ़ते गए। हाल ही में संदीप की ख़ुद की लिखी पुस्तक "जिंदगी से जंग जीतेंगे हम" प्रखर गूँज" पब्लिकेशन द्वारा प्रकाशित हुई है।

संदीप ने अपनी इस पुस्तक में 450 प्रेरणात्मक विचार संकलित किए हैं, इस पुस्तक को पढ़कर हर वो शख्स ख़ुद के जीवन में आशा की नयी किरणों को ढूंढ सकता है जिसकी सोच यह है कि जिंदगी कठिन है। संदीप ने अपनी पुस्तक में लिखा है कि जिम्मेदारी बोझ नहीं बल्कि इंसान को बेहतर से बेहतरीन बनाने की सर्वोत्तम विधि है। संदीप की इन्हीं प्रेरणादायक विचारों का अनूठा संग्रह है जिंदगी से जंग जीतेंगे हम। संदीप ने कहा है कि अपने परिवार के अपने एक छोटे से सपने को साकार होता देखना मेरे लिए सौभाग्य की बात है। इसका सारा श्रेय जाता है मेरी जन्मदायिनी माँ , पूज्यनीय पिता श्री, गुरुजन सहित ज्ञानदायिनी माँ सरस्वती को। संदीप की पुस्तक पाठकों के पठनार्थ अमेज़न पर उपलब्ध है।

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