सब्ज़ स्याही से लिखा गया है यह बजट

 


बजट का नाम सुनते ही अमूमन हमें सबसे पहले याद आता है इन्कम टैक्स. फिर चर्चा होती है क्या सस्ता हुआ क्या महंगाऔर उसके बाद फिक्र होती है कहाँ क्या विकास होगा और शिक्षास्वास्थ्यऔर रक्षा जैसे बुनियादी क्षेत्रों पर सरकार कितना खर्चा कर रही है. केन्‍द्रीय बजट 2023-24 पेश किया जा चुका है. यह बजट कुछ अलग है. क्योंकि इस बजट के पेश होने के बाद सिर्फ ऊपर लिखी रूटीन बातों की चर्चा नहीं हो रही.
 
इस बजट में इस सबसे अलग कुछ था. और अलग ये था कि इसे सब्ज़ स्याही से लिखा गया है.सब्ज़ मतलब हरा. हरा मतलब ग्रीन. और इस बजट की सात प्राथमिकताओं में से एक है ग्रीन ग्रोथ.बजट की प्राथमिकताओं में ग्रीन ग्रोथ को शामिल कर सरकार ने एक बार फिर मजबूती से जलवायु परिवर्तन के प्रति अपनी संवेद्नशीलता और इससे निपटने के लिए प्रतिबद्धता दिखाई है. ध्यान रहेजलवायु परिवर्तन से निपटने की कार्यवाहीभारत की अध्यक्षता में इस साल G20 की प्राथमिकताओं में से भी एक है. और इस सबसे पहलेप्रधान मंत्री मोदीदुनिया को जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिएग्लासगो में हुए जलवायु सम्मेलन में, LIFE या लाइफ़स्टाइल फॉर एनवायरनमेंट का मंत्र दे चुके हैं. इस मंत्र की गूंज इस बजट में भी सुनाई दी।

तो ऐसी पृष्ठभूमि के साथ, इस बजट में ग्रीन ग्रोथ का होना हैरान नहीं करता. मगर ग्रीन ग्रोथ का बजट की प्राथमिकता होना देशवासियों के मन में एक स्वच्छ और स्वस्थ भविष्य की उम्मीद ज़रूर बढ़ाता है. आइये नज़र डालते हैं कैसे इस बजट की सब्ज़ स्याही से भारत सरकार ग्रीन ग्रोथ की कहानी लिखने की तैयारी में है.

बारह बातें
वित्त मंत्री ने अपने भाषण में तमाम घोषणाएँ की मगर उनमें से जो बारह महत्वपूर्ण घोषणाएँ देश को ग्रीन ग्रोथ के रास्ते ले जाएंगीवो कुछ इस प्रकार हैं:
  1. एनेर्जी ट्रांज़िशनइस बजट में पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय द्वारा एनेर्जी ट्रांज़िशननेट ज़ीरो लक्ष्योंऔर एनेर्जी सेक्योरिटी के लिए 35,000 करोड़ के पूंजी निवेश का प्रावधान है.
  2. रिन्यूबल एनेर्जी इवेक्यूएशनयहाँ एनेरजी इवेक्यूएशन का मतलब हुआ किसी सोलरविंडया अन्य रिन्यूबल सोर्स से बनी बिजली को फौरन वितरण के लिए ग्रिड तक पहुंचाना. बिजली को स्टोर कर के रखना मुश्किल हैइसलिए उसका फौरन वितरण ज़रूरी और कारगर होता है. इसके मद्देनज़रबजट में लद्दाख से 13 GW रिन्यूबल एनेर्जी के इवेक्यूएशन के लिए एक अंतर-राज्यीय ट्रांसमिशन सिस्टम बनाने के लिए 20,700 करोड़ का निवेश किया जाएगा. इसमें केंद्र सरकार द्वारा 8300 करोड़ का सहयोग रहेगा.
  3. ग्रीन क्रेडिट प्रोग्रामआम जन के व्यवहार परिवर्तन को प्रोत्साहित करने के लिए पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम के तहत एक ग्रीन क्रेडिट प्रोग्राम शुरू किया जाएगा. इसके अंतर्गत न सिर्फ आम नागरिकोंकंपनियों,  और स्थानीय निकायों द्वारा पर्यावरणीय रूप से टिकाऊ कार्यों को प्रोत्साहित किया जाएगाबल्कि ऐसी गतिविधियों के लिए अतिरिक्त संसाधन जुटाने में भी मदद करेगा.
  4. भारतीय प्राकृतिक खेती जैव-इनपुट संसाधन केंद्रअगले वर्षों में करोड़ किसानों को प्राकृतिक खेती अपनाने की सुविधा प्रदान की जाायेगी . इसके लिए 10,000 जैव-इनपुट संसाधन केंद्र स्थापित किए जाएंगेजो राष्ट्रीय स्तर पर एक वितरित माइक्रो फर्टिलाइज़र और कीटनाशक निर्माण नेटवर्क तैयार करेंगे.
  5. गोबर’धन योजनाएक सर्कुलर अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए गोबरधन (गैल्वनाइजिंग ऑर्गेनिक बायो-एग्रो रिसोर्सेज धन) योजना के तहत 500 नए 'वेस्ट टू वेल्थप्लांट स्थापित किए जाएंगे. इस योजना के अंतर्गत, 10,000 करोड़ के निवेश के साथ, 200 कोम्प्रेस्ड बायोगैस (सीबीजी) संयंत्र शामिल होंगेजिनमें शहरी क्षेत्रों में 75 संयंत्र होंगेऔर सामुदायिक या क्लस्टर आधारित संयंत्र 300 शामिल होंगे.
  6. ग्रीन हाइड्रोजन मिशनहाल ही में शुरू किया गया राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन, 19,700 करोड़ रुपये के बजट प्रावधान के साथअर्थव्यवस्था की कार्बन ईंटेंसिटी को कम करने के साथ साथजीवाश्म ईंधन के आयात पर निर्भरता को कम करेगाऔर देश को इस उभरते क्षेत्र में टेक्नोलोजी और बाजार का नेतृत्व करने में मदद करेगा. सरकार का लक्ष्य 2030 तक 5 MMT के वार्षिक उत्पादन तक पहुंचना है.
  7. ऊर्जा भंडारण परियोजनाएंटिकाऊ विकास के रास्ते पर अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने के लिए, 4,000 MWH की क्षमता वाली बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणालियों को वायबिलिटी गैप फंडिंग के साथ संभाला जाएगा. पम्प्ड स्टोरेज परियोजनाओं के लिए एक विस्तृत रूपरेखा भी तैयार की जाएगी.
  8. PM-PRANAMपीएम प्रोग्राम फॉर रेस्टोरेशनअवरेनेस्सनारिशमेंएंड अमेलीओरेशन ऑफ मदर अर्थ नाम की इस पहल के तहत वैकल्पिक उर्वरकों और रासायनिक उर्वरकों के संतुलित उपयोग को बढ़ावा देने के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को प्रोत्साहित किया जाएगा.
  9. कोस्टल शिपिंगपीपीपी मोड के माध्यम से यात्रियों और माल दोनों के लिए ऊर्जा कुशल और परिवहन के कम लागत वाले मोड के रूप में वियाबिलिटी गैप फंडिंग के साथ तटीय शिपिंग को बढ़ावा दिया जाएगा.
  10. अमृत धारोहरवेटलेण्ड्स या आर्द्रभूमि एक महत्वपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र हैं जो जैविक विविधता को बनाए रखते हैं. अपने नवीनतम मन की बात मेंप्रधान मंत्री ने कहा था, "अब हमारे देश में अंतर्राष्ट्रीय महत्व वाले वेटलेण्ड्सया रामसर साइट्सकी कुल संख्या बढ़कर 75 हो गई है. जबकि, 2014 से पहलेकेवल 26 थे ..." इस संदर्भ में स्थानीय समुदाय हमेशा संरक्षण प्रयासों में सबसे आगे रहे हैं. इसलिए सरकार अमृत धरोहर पहल के माध्यम से उनके अद्वितीय संरक्षण मूल्यों को बढ़ावा देगी. यह योजना अगले तीन वर्षों में आर्द्रभूमि के बेहतरीन उपयोग को प्रोत्साहित करने और स्थानीय समुदायों के लिए जैव-विविधताकार्बन स्टॉकइको-पर्यटन के अवसरों और आय सृजन को प्रोत्साहित करने के लिए लागू की जाएगी.
  11. मिष्टीवनीकरण के मामले में भारत की सफलता की ऊर्जा को आगे ले जाते हुए, 'मेंगरोव इनिशिएटेव फॉर शोरेलाइन हैबीटेट्स एंड टैंजिबल इन्कम’ या MISHTI नाम की इस पहल  के अंतर्गत मनरेगा और कंपेनसेटरी अफोरेस्टेशन फ़ंड मेनेजमेंट एंड प्लानिंग अथॉरिटी (CAMPA) जैसे संस्थानों के बीच समन्वय की मदद से तटीय क्षेत्रों में मेंगरोव प्लांटेशन किया जाएगा.
  12. पुराने वाहनों का रिपलेसमेंटप्रदूषण फैलाने वाले पुराने वाहनों को बदलना हमारी अर्थव्यवस्था को हरा-भरा बनाने का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. बजट 2021-22 में उल्लिखित वाहन स्क्रैपिंग नीति को आगे बढ़ाने मेंकेंद्र सरकार के पुराने वाहनों और एंबुलेंस को स्क्रैप करने के लिए पर्याप्त धनराशि आवंटित की गयी है.
विशेषज्ञों ने किया स्वागत 
अपनी त्वरित प्रतिक्रिया देते हुएपर्यावरणविद डॉ सीमा जावेद कहती हैं, “केंद्रीय बजट ने अपनी  7  प्रमुख प्राथमिकताओं   में  ग्रीन ग्रोथ को  भी एक  चुना  है और यह एक स्वागत योग्य कदम है. ऐसा लगता है यह बजट -ग्रीन एनर्जी ग्रीन मोबिलिटी और भारत में ग्रीन जॉब्स को बढ़ाने में मदद करेगा.”
नेशनल सोलर एनर्जी फेडरेशन ऑफ इंडिया (NSEFI) के सीईओसुब्रह्मण्यम पुलिपकाकहते हैं, “हम इसका स्वागत करते हैं. इस बजट की मदद से न केवल हमें अपने जलवायु लक्ष्यों और लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद मिलेगी बल्कि भारत दुनिया के सबसे बड़े एनेर्जी ट्रांज़िशन कार्यक्रमों का गढ़ भी बनेगा.”
आगेआईआईएसडी में नीति सलाहकारबालासुब्रमण्यम विश्वनाथनकहते हैं, “विकास के स्तंभों में से एक के रूप मेंसरकार स्पष्ट रूप से हरित विकास को प्राथमिकता देती हुई दिखती है. ऊर्जा भंडारण और रिन्यूबल एनेर्जी के बुनियादी ढांचे के लिए बेहतरीन प्रावधान बनाए गए हैं.वित्त मंत्री ने नेट ज़ीरो और एनेर्जी ट्रांज़िशन उद्देश्यों के समर्थन में INR 35,000 करोड़ का वादा किया है. यह सब एक स्वागत योग्य कदम हैं क्योंकि भारत ग्रिड में रिन्यूबल एनेर्जी की हिस्सेदारी तेजी से बढ़ाने की कोशिश कर रहा है.”
इसी क्रम मेंग्लोबल विंड एनेर्जी काउंसिल के नीति निदेशक मार्तंड शार्दुलका मानना है, “बजट में ग्रीन हाइड्रोजन के लिए पारिस्थितिक तंत्र के विकास पर जोर दिया गया हैयूटिलिटी-स्केल रिन्यूबल एनेर्जी के लिए बुनियादी ढांचे को मजबूत करने की बात की गयी हैऔर भंडारण समाधानों पर जोर दिया है. यह सब स्वागत योग्य बातें हैं.”
क्लाइमेट ट्रेंड्स की निदेशक, आरती खोसला बजट का स्वागत करते हुए कहती हैं, "बजट की दिशा सही लगती है। मगर लद्दाख से पावर इवेक्युशन के लिए घोषित परियोजना अनायास ही जोशीमठ की याद दिलाती है। यहां ये देखना महत्वपूर्ण होगा कि इस संवेदनशील क्षेत्र को ऐसी किसी परियोजना से नुकसान न हो।"
सस्ती हो सकती हैं बैटरी गाडियाँ
एलेक्ट्रिक मोबिलिटी के संदर्भ में बोलते हुए हर्ष वर्माबिजनेस डेवलपमेंट टीमवर्डे मोबिलिटी कहते हैं, ''केंद्रीय मंत्रालय के 2023-24 के प्रस्तावित बजट में लिथियम आयन बैटरी के लिए 0% आयात शुल्क शामिल हैजो ईवी निर्माताओं और बैटरी निर्माताओं को आयात और विनिर्माण में छूट के साथ प्रोत्साहित करेगाजिसके परिणामस्वरूप इलेक्ट्रिक वाहनों की कीमत में कमी आएगी.”
इससे ईवी अपनाने में भी वृद्धि होगीजिससे ईवी चार्जर की भी मांग बढ़ेगी. ऑटोमोटिव उपकरणों पर बुनियादी सीमा शुल्क में कमी से चार्जर के निर्माताओं को बहुत लाभ होगा और इससे विनिर्माण में मदद मिलेगी.
बैटरी उद्योग का पक्ष रखते हुए अनिरुद्ध अमीनसीईओ और संस्थापकसीपीओ असिस्ट कहते हैं, "हालांकि चार्जिंग उद्योग के लिए वित्त बजट 2023-24 का कोई प्रत्यक्ष निवेश प्रभाव नहीं थालेकिन लिथियम आयन बैटरी पर आयात शुल्क के लिए पूंजीगत वस्तुओं और मशीनरी के लिए छूट का अप्रत्यक्ष प्रोत्साहनएक अच्छा संकेत होगा."

चलते चलते
भले ही आलोचक इस बजट को चुनाव से पहले वाला लोक लुभावन बजट कहें, मगर जलवायु परिवर्तन के निपटने के लिए दृढ़ता और पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता के सापेक्ष अगर इसका मूल्यांकन किया जाए तो इस बजट को पूरे नंबर दिये जा सकते हैं.

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