कभी मुद्रा की तरह इस्तेमाल होता था नमक,टिकी थी दुनिया की अर्थव्यवस्था! सैलेरी देने में आता था काम
अगर आप भारतीय हैं तो आपको नमक की अहमियत के बारे में पता ही होगा। महात्मा गांधी ने नमक के लिए ही डांडी मार्च निकाला था और अंग्रेजों से भिड़ गए थे। एक वक्त ऐसा था जब दुनिया के तमाम देशों की अर्थव्यवस्था नमक पर ही टिकी रहती थी। आपको जानकर हैरानी होगी कि इसे मुद्रा की तरह प्रयोग किया जाता था। आज हम आपको नमक से जुड़े कुछ ऐसे फैक्ट्स बताने जा रहे हैं जो आपको चौंका देंगे।हाउ स्टफ वर्क वेबसाइट की रिपोर्ट के अनुसार नमक का काम खाद्य संरक्षण के लिए किया जाता था। इस वजह से नमक काफी कीमती वस्तु हुआ करती थी। प्राचीन रोम में नमक को मुद्रा की तरह प्रयोग किया जाता था। कोई लेन-देन करना हो या अन्य कोई काम हो तो नमक का प्रयोग रुपये की तरह करते थे। यही नहीं, लोगों की सैलेरी भी नमक के रूप में ही दी जाती थी। अंग्रेजी का शब्द सोल्जर और सैलेरी भी सॉल्ट से ही बने हैं।
भारत में हुआ नमक कर का विद्रोह
मध्यकाल में खास सड़कें सिर्फ नमक को ट्रांसपोर्ट करने के लिए बनाई जाती थीं। इनमें से सबसे प्रसिद्ध रोड उत्तरी जर्मनी की ओल्ड सॉल्ट रूट है जो सॉल्ट माइन्स से शिपिंग पोर्ट तक जाया करती थी। आयरन एज में ब्रिटिश, समुद्र के पानी को उबालकर उसमें से नमक निकाला करते थे। जब अंग्रेजों ने अपनी कॉलोनियां बनाईं, तब उन्होंने नमक पर टैक्स लगा दिया जिसका विद्रोह अफ्रीका से लेकर चीन तक हुआ। भारत में भी ये विद्रोह हुआ जिसे हम डांडी मार्च के नाम से जानते हैं।
नमक के हैं धार्मिक महत्व
ये तो आर्थिक और राजनीतिक महत्व की बात हो गई। नमक का महत्व धार्मिक रूप से भी देखने को मिलता है। जापान की शिंटॉइज्म मान्यता में माना जाता है कि नमक से चीजें पवित्र हो जाती हैं जबकि बौद्ध धर्म को मानने वाले लोग बुरी नजर को दूर करने के लिए नमक का प्रयोग किया करते थे। जूडियो-क्रिश्चियन मान्यता में नमक से लोगों और वस्तुओं को पवित्र किया जाता था। इसके अलावा बाइबल में भी नमक का काफी जिक्र मिलता है। नमक को लेकर काफी अंग्रेजी कहावतें भी हैं। अंग्रेजी में कहा जाता है- (किसी के नमक के बराबर नहीं होना) इसका अर्थ ये होता है कि कोई इतना महत्वपूर्ण नहीं है। पुराने समय में नमक देकर दास यानी नौकर खरीदे जाते थे, बस तभी से ये मुहावरे का चलन है।
Sources:News 18
टिप्पणियाँ