हमला,हत्या और दरिंदगी,मणिपुर में लड़कियों के गुनहगारों में खाकी भी शामिल!
मणिपुर की तस्वीरों को देख कर दिमाग सुन्न हो जाता है। यकीन नहीं आता कि ये तस्वीरें उसी आज़ाद भारत की हैं, जिस पर हम गर्व करते हैं। उसी भारत की जिसे हम फिर से विश्वगुरु बनाने का ख्वाब पाले बैठे हैं। समझ में नहीं आता कि ये किस मिट्टी के बने हुए लोग हैं। जिन्होंने अपनी सोच, अपने विवेक और अपनी बुद्धि से जाने कैसा बैर पाल लिया है। ये जो कुछ कर रहे हैं, वैसा तो जानवर भी नहीं करते।
शहरों-अट्टालिकाओं में रहने-जीनेवाले लोग अक्सर सभ्य होने का ढोंग करते हुए दूसरों को कबिलाई बता कर मुहाबिसें करते हैं। अक्सर लोगों की एहसास-ए-बेहतरी का यही जुमला होता है। लेकिन आज अगर ये तस्वीरें वाकई कबीलों में रहने वाले लोगों की निगाहों से गुज़र जाएं, तो शायद वो भी हमसे पूछ लेंगे कि बताओ सभ्य कौन है और बर्बर कौन?
दुश्मनी में इंसान से भेड़िए बन गए आरोपी
सोशल मीडिया पर वायरल वो वीडियो सुदूर नॉर्थ ईस्ट के मणिपुर सूबे से आया है। वो भी मणिपुर के थोबल जिले के नोंगपोक सेकमाई इलाके से। जातीय संघर्ष की आग में जल रहे इस इलाके के लोग दुश्मन से पाई-पाई का हिसाब लगाने के लिए कब इंसान से भेड़िए बन गए, उन्हें तो इसका अहसास ही नहीं रहा। वरना क्यों कर ये सैकड़ों नौजवान, जिन्हें मणिपुर की इन बेटियों की आबरू बचाने के लिए अपनी जान पर खेल जाना था, उन्होंने खुद ही अपने हाथों से उन लड़कियों से आबरू तार-तार कर डाली। आज जज़्बात बहुत हैं मगर अल्फाज़ कम पड़ रहे हैं।
कौन देगा तमाम सवालों के जवाब?
मणिपुर का वो शर्मनाक वीडियो हु-ब-हू दिखाया भी नहीं जा सकता। दिखाना भी नहीं चाहिए। क्योंकि उस वीडियो में जो सच कैद हैं, उस पर आपकी और हमारी आनेवाली नस्लें अफ़सोस करेगी। हमें लानतें भेजेंगी। सचमुच नफरत में इंसान कितना अंधा हो जाता है। इन तस्वीरों से बेहतर कोई चीज़ उसे बयान नहीं कर सकती। उन तस्वीरों के गुनहगारों का क्या हुआ? उनके साथ क्या होना चाहिए? मणिपुर की उन सताई गई बेटियों के जख्मों पर किसने कितना मरहम रखा? दोबारा ऐसा ना हो इसकी गारंटी कौन देगा? ऐसे तमाम सवाल फिलहाल फिज़ा में हैं। आगे जिनके जवाब टटोलने की कोशिश हम करेंगे। लेकिन आईए फिलहाल ये दुआ करें कि काश कि दुनिया के किसी भी कोने से आईंदा से किसी की आंखों को ऐसी भयानक तस्वीरें ना देखनी पड़ें।
47वें दिन दर्ज हुई FIR
बुधवार यानी 19 जुलाई को सोशल मीडिया पर 21 सेकंड का एक वीडियो क्लिप अचानक तैरने लगता है। और फिर धीरे-धीरे ये कुछ इतनी तेज़ी से वायरल होता है कि अगले चंद घंटों में सोशल मीडिया पर एक्टिव तकरीबन हर किसी के मोबाइल फोन में होता है। तस्वीरें दिल को हिला देनेवाली हैं। आंखों पर यकीन करना मुश्किल हो जाता है। बमुश्किल 21 सेंकंड का ये वीडियो क्लिप सुदूर मणिपुर के थोबुल जिले के नोंगपोक सेकमाई थाना इलाके का बताया जाता है, जहां एक गांव में बीसियों नौजवानों की एक भीड़ दो लड़कियों को पूरी तरह निर्वस्त्र कर अपने साथ खींचते और घसीटते हुए ले जा रही है। नफरत और वहशत की हद ये कि लड़कियों के जिस्म पर कपड़े का कोई टुकड़ा तो छोड़िए, सूत का एक धागा तक मौजूद नहीं है। और साथ-साथ चल रही भीड़ उनके साथ चलते-चलते ही यौन उत्पीड़न कर रही है। इसके बाद एक-एक कर पूरे 46 दिन गुज़र जाते हैं। और तब जाकर 47वें दिन यानी 21 जून को जाकर इस सिलसिले में मणिपुर की पुलिस एफआईआर दर्ज करती है। एफआईआर में शामिल होती हैं अपहरण, गैंगरेप और मर्डर की धाराएं।
वारदात के पीछे की कहानी
लेकिन इस मामले में एफआईआर दर्ज करने में इतनी देर क्यों हुई? वारदात के गुनहगारों का क्या हुआ? पीड़ित लड़कियों की मदद और पुनर्वास के मामले में सरकार की तरफ से क्या किया गया और क्या नहीं? इन तमाम मसलों पर करेंगे बात, लेकिन पहले उस वारदात को एक बार ध्यान से समझ लेते हैं, जिसकी इन तस्वीरों ने हर किसी को झिंझोड़ कर रख दिया है। असल में मणिपुर के एक बड़े इलाके में पिछले करीब 80 दिनों से अलग-अलग समुदायों के बीच हिंसा का दौर चल रहा है। ये तस्वीरें और ये वारदात उसी हिंसा की एक कड़ी है।
पिता और भाई की हत्या, लड़कियों से दरिंदगी
पीड़ित लड़कियों ने अपनी एफआईआर में बताया है कि चार मई की दोपहर करीब तीन बजे करीब एक हजार लोगों की एक भीड़ ने उनके गांव पर हमला कर दिया था। शिकायत के मुताबिक ये हमलावर मैतेई समुदाय से जुड़े हुए हैं। इस भीड़ ने गांव पर हमला कर लोगों के घर में आग लगा दी और लूटपाट शुरू कर दी। गांव के लोग अपनी जान बचाने के लिए जिधर भाग सकते थे, उधर ही निकल गए। हिंसक भीड़ से घबरा कर गांव की तीन लड़कियां भी अपने पिता और भाई के साथ जंगल की ओर भाग निकलीं। लेकिन पुलिस ने उन्हें रास्ते से रेस्क्यू कर लिया।
लेकिन अभी पुलिस उन्हें लेकर थाने जा ही रही थी कि रास्ते में ही हिंसक भीड़ ने थाने से महज़ दो किलोमीटर पहले पुलिस का रास्ता रोक लिया और उन लड़कियों को उनके पिता और भाई से छीन लिया। इसके बाद भीड़ ने उन लड़कियों की आंखों के सामने ही उनके पिता की हत्या कर दी। इसके बाद भीड़ ने तीनों के कपड़े उतार कर उन्हें अपने साथ-साथ चलने पर मजबूर कर दिया और बाद में इन तीनों में से एक 21 साल की लड़की के साथ दरिंदों ने खुलेआम गैंगरेप किया। वैसे ये भी मानों हद नहीं थी, जब भाई अपनी आंखों के सामने इस जुल्म से गुज़र रहीं अपनी बहनों को बचाने की कोशिश की, तो हैवानों ने उनके भाई की भी हत्या कर दी।
हमलावरों के साथ मिली थी पुलिस
आखिरकार इस कोहराम के बाद किसी तरह आरजू मिन्नत कर लड़कियां वहां से निकलने में कामयाब हो पाईं। लेकिन तब तक जो होना था, वो वो चुका था। हालांकि इस कहानी का एक पहलू और भी है। पीड़ित लड़कियों में से एक ने एक मीडिया ग्रुप को दिए गए अपने इंटरव्यू में शिकायत की है कि इस मामले में पुलिस भी हमलावरों के साथ मिली हुई थी। हमलावरों ने पुलिस की मौजूदगी में ही उनके गांव पर हमला किया। लूटपाट और हिंसा की। लड़कियों ने कहा कि पुलिस उनसे मिली हुई थी। पुलिस ने उन्हें गांव के रास्ते से रेस्क्यू तो किया, लेकिन कुछ दूर चल कर उन्हें भीड़ के हवाले कर दिया।
पुलिस ने FIR लिखने में लगाया एक महीना
मौके की नजाकत और मामले को लेकर पुलिस की सक्रियता को बस इसी से समझिए कि इस वारदात की शिकायत पीड़ित लड़कियों की ओर से पुलिस को 14 दिन बाद यानी 18 मई को दी जाती है, इसके बाद पुलिस इस शिकायत पर एफआईआर दर्ज करने में महीने भर का वक्त और लगा देती है। मणिपुर की पुलिस ने इस सिलसिले में 21 जून को आईपीसी की धारा 153ए, 398, 427, 436, 448, 302, 354, 364, 326, 376 और 34 और शस्त्र अधिनियम की धारा 25(1सी) के तहत दर्ज किया है। क़त्ल से लेकर गैंगरेप जैसे संगीन इल्जाम करीब एक हजार लोगों पर हैं।
FIR के बाद भी लापरवाह रही पुलिस
हद तो ये है कि एफआईआर दर्ज करने के बाद अब तक मणिपुर की पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी हुई है। वो तो जब बुधवार को वारदात का वीडियो वायरल हुआ और गुरुवार को मणिपुर के सीएम एन बीरेन सिंह से सवाल पूछे जाने लगे, तब जाकर इस सिलसिले में पुलिस ने पहली गिरफ्तारी की और हरे रंग की टी शर्ट पहने लड़कियों के साथ ज्यादती करते एक आरोपी खुयरूम हेरादास को पकड़ा। अब पुलिस की काहिली, सरकार और शासन के निकम्मेपन पर वहां के सीएम ने सफाई दी है।
मणिपुर में लड़कियों के साथ ज्यादती और उन्हें निर्वस्त्र कर घुमाए जाने की इस वारदात ने पूरे देश को झकझोर दिया है। गुरुवार को पक्ष और विपक्ष के तमाम नेताओं ने इस वारदात को लेकर अपनी तीखी प्रतिक्रिया जताई, लेकिन साथ ही इसे लेकर सियासत भी होती रही। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि इस घटना के बाद वो गम और गुस्से से भरे हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने लिया संज्ञान
उधर, देश की सर्वोच्च अदालत ने भी इस वारदात पर स्वत: संज्ञान लिया है। गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने कहा है कि वो इस मामले पर सरकार को थोड़ा समय दे रहे हैं। अगर धरातल पर सरकार की ओर से कोई कार्रवाई होती नहीं दिखती है, तो फिर वो खुद ही कार्रवाई करेंगे। चीफ जस्टिस ने इसे संवैधानिक लोकतंत्र की भावनाओं के खिलाफ करार दिया और इस मामले पर सुनवाई के लिए अगली तारीख 28 जुलाई मुकर्रर कर दी। बहरहाल, महिलाओं के साथ ज़्यादती की इन तस्वीरों ने देर से सही, पूरे देश को झकझोर दिया। अब देखना ये है कि आखिर कब तक इन गुनहगारों को क्या और कितनी सजा मिलेगी?
Sources:AajTak
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