गाज़ा के पास लड़ाई जारी, 130 इजराइली बंधक,अमेरिका ने भेजे युद्धपोत
इजराइल और फिलस्तीन के बीच भीषण सैन्य संघर्ष जारी है। इजरायली सैन्य प्रवक्ता की ओर से सोमवार को जारी बयान के अनुसार, गाजा के पास 7-8 बिंदुओं पर लड़ाई छिड़ी हुई है। हम आपको बता दें कि इस संघर्ष में अब तक दोनों पक्षों की ओर से 1100 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं। इज़रायली सेना ने सोमवार को कहा कि उसने रात भर में गाजा पट्टी में हमास और इस्लामिक जिहाद के सैंकड़ों ठिकानों पर हमला किया और चार लड़ाकू डिवीजनों को दक्षिण में भेजा है जहां उसने खूनी घुसपैठ के दो दिन बाद भी इस्लामी आतंकवादियों से लड़ाई जारी रखी हुई है।
बताया जा रहा है कि इजराइल के लड़ाकू विमानों,हेलीकॉप्टरों और तोपों ने रात भर गाजा पट्टी में 500 से अधिक हमास और इस्लामिक जिहाद के ठिकानों पर हमला किया, जिसमें हमास और इस्लामिक जिहाद कमांड सेंटर और हमास के वरिष्ठ अधिकारी रूही मश्ता का निवास भी शामिल था। बताया जा रहा है कि रूही मश्ता ने ही कथित तौर पर इज़राइल में घुसपैठ को निर्देशित करने में मदद की थी। इस बीच, विश्व नेताओं ने हमले की निंदा की है और अमेरिका ने कहा है कि वह युद्धपोत और युद्धक विमान भेज रहा है क्योंकि उसने अपने सहयोगी इजराइल को ‘‘अटूट’’ समर्थन देने का वादा किया है।दूसरी ओर, इजरायली मीडिया ने जानकारी दी है कि पड़ोसी गाजा में नागरिकों और सैनिकों सहित लगभग 130 इजरायलियों को बंधक बना कर रखा गया है।
इज़राइली मीडिया में दिखाये जा रहे समाचारों के मुताबिक राहत कार्यों में लगे कर्मियों को एक संगीत समारोह से लगभग 260 शवों को निकालते हुए दिखाया गया। इस संगीत समारोह को निशाना बना कर रविवार को हमला किया गया था। इस बीच, अमेरिकन एयरलाइंस, एयर फ्रांस, लुफ्थांसा, एमिरेट्स और रयानएयर सहित कई प्रमुख एयरलाइनों ने अगली सूचना तक तेल अवीव के बेन गुरियन हवाई अड्डे के लिए उड़ानें रद्द कर दी हैं।इजराइल के दक्षिणी हिस्सों में गाजा पट्टी में शासित चरमपंथी समूह हमास की ओर से शनिवार सुबह किया गया हमला इजराइली खुफिया एजेंसियों की ‘‘जबरदस्त विफलता’ का नतीजा है। विशेषज्ञों का कहना है कि इजराइल को हमेशा अपनी खुफिया एजेंसियों, घरेलू इकाई शिन बेट और विशेष रूप से अपनी बाहरी जासूसी एजेंसी मोसाद पर गर्व रहा है, लेकिन इस हमले से उसकी ‘‘खुफिया विफलता’’ दिखाई पड़ती है।
कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि इजराइल, ईरान का मुकाबला करने और इस्लामिक गणराज्य के परमाणु कार्यक्रम को विफल करने के प्रयासों में इतना व्यस्त हो गया कि उसने अपने ही निकट स्थित क्षेत्र की अनदेखी कर दी। हम आपको यह भी बता दें कि इजराइल ने हाल में हमास के साथ संघर्ष विराम पर सहमति व्यक्त की थी, इस पर कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि राजनीति की घरेलू बाधाओं के कारण चेतावनियों को नजरअंदाज कर दिया गया। कुछ विशेषज्ञ सरकार द्वारा शुरू की गई न्यायिक सुधार योजना के मद्देनजर इजराइल के भीतर आंतरिक विभाजन को भी इसके लिए जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। यही नहीं, इजराइल में विपक्ष के अलावा सरकार के मंत्रियों की ओर से भी सवाल दागे जा रहे हैं और चीफ ऑफ स्टॉफ हर्जी हलेवी की आलोचना करते हुए उनसे जवाब मांगे जा रहे हैं।इस बीच, इजराइल के शीर्ष नेताओं ने हमास चरमपंथियों के अप्रत्याशित हमले के बाद पैदा हुई जटिल स्थिति से निपटने के लिए अपने मतभेदों को दरकिनार करते हुए देश में एक आपातकालीन राष्ट्रीय एकता सरकार बनाने की संभावना पर चर्चा शुरू कर दी है।
इजराइल के दैनिक समाचारपत्र हारेत्ज़ की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू तथा विपक्षी नेता यायर लापिड और बेनी गैंट्ज़ ने बातचीत के दौरान नेतन्याहू की सरकार में शामिल होने की संभावना पर चर्चा की। दोनों विपक्षी नेताओं ने सरकार में शामिल होने को लेकर अपनी इच्छा व्यक्त की, लेकिन लापिड ने दक्षिणपंथी नेताओं और मंत्रियों के अलावा बेज़ेलल स्मोट्रिच और इटमार बेन.ग्विर को हटाने की मांग की। वहीं बेनी गैंट्ज़ दोनों के साथ सरकार में शामिल होने को लेकर सहमत हो गए हैं। समाचारपत्र की रिपोर्ट के अनुसार, लापिड ने बैठक के दौरान नेतन्याहू से कहा, ‘‘इस आपातकालीन स्थिति के दौरान, मैं सभी असहमतियों को किनारे रखकर एक पेशेवर, सीमित आपातकालीन एकता सरकार बनाने को तैयार हूं ताकि हम जिस कठिन, जटिल और लंबे अभियान का सामना कर रहे हैं उसका प्रबंधन कर सकें।’’ लापिड ने एक बयान में कहा कि नेतन्याहू को पता है उनकी कट्टरपंथी और गैर.कार्यात्मक कैबिनेट युद्ध का प्रबंधन नहीं कर सकती। लापिड ने कहा, ‘‘मुझे इसमें कोई संदेह नहीं है कि पूर्व रक्षा मंत्री बेनी गैंट्ज़ भी ऐसी सरकार में शामिल होंगे।’’
इजराइल और गाजा में रह रहे भारतीय सुरक्षित
इस बीच, खबर है कि इजराइल पर हमास के हमले के बाद भारतीय नागरिकों से जुड़ी कोई अप्रिय घटना नहीं हुई है और देश में फंसे लोगों ने अपनी सुरक्षित निकासी के लिए तेल अवीव में स्थित भारतीय दूतावास से अनुरोध किया है। बताया जा रहा है कि लगभग 18 हजार भारतीय नागरिक इजराइल में रहते और काम करते हैं तथा अब तक उनसे जुड़ी किसी अप्रिय घटना की जानकारी नहीं मिली है। देश में फंसे भारतीय पर्यटकों ने भारतीय दूतावास से उन्हें बाहर निकालने का अनुरोध किया है। अधिकतर पर्यटक समूहों में यात्रा कर रहे हैं। इजराइल का दौरा करने वाले कुछ व्यवसायी भी हैं जो तनाव में हैं और वहां से निकलने की कोशिश कर रहे हैं।
हम आपको बता दें कि तेल अवीव में भारतीय मिशन और फलस्तीन में भारत के प्रतिनिधि कार्यालय ने शनिवार को परामर्श जारी कर भारतीय नागरिकों से ‘‘सतर्क रहने’’और आपात स्थिति में ‘‘सीधे कार्यालय से संपर्क करने’’की अपील की थी। दूतावास ने बताया कि वे चौबीस घंटे सभी भारतीय नागरिकों के लिए उपलब्ध हैं और सक्रिय रूप से उनका मार्गदर्शन कर रहे हैं। इजराइल में रहने वाले भारतीयों का एक बड़ा हिस्सा देखभाल करने वालों के रूप में काम करता है, लेकिन वहां लगभग एक हजार छात्र, कई आईटी पेशेवर और हीरा व्यापारी भी हैं।
हालांकि एक ताजा खबर में बताया गया है कि हमलों के दौरान घायल हुए हजारों लोगों में एक भारतीय महिला भी शामिल है, उसके परिवार ने कहा कि जब महिला अपने पति के साथ वीडियो कॉल पर थी तब वह हमले की शिकार हो गयी।इजराइल के वर्तमान हालात की बात करें तो आपको बता दें कि यहां पर लोग अब भी विभिन्न मोर्चों से हुए हमले और बड़े पैमाने पर खुफिया विफलता से सदमे में हैं। यरूशलम के पुराने शहर को बेथलेहम से जोड़ने वाली सड़क रविवार को सुनसान थी। सामान्य दिनों में ऐसे नजारे की कल्पना भी नहीं की जा सकती। सुरक्षा बल यहां सड़कों पर गश्त कर रहे हैं और स्थिति पर नजर रख रहे हैं। यरुशलम में शांति है और रविवार को यहां कोई हमला या किसी अप्रिय घटना की सूचना नहीं मिली है।
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