फैक्ट्री में बन रहा था नशे का सामान,CBI ने बरामद की 16 करोड़ की ड्रग्स

 


मुंबई में क्राइम ब्रांच की यूनिट को बड़ी कामयाबी मिली है। क्राइम ब्रांच की यूनिट 9 ने एक बड़े ड्रग्स सिंडिकेट का भंडाफोड़ किया है। नशे के सौदागर सोलापुर की एक फैक्ट्री में ड्रग्स का काला कारोबार चला रहे थे। क्राइम ब्रांच ने उस फैक्ट्री पर दबिश देकर दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है। और मौके से करीब 16 करोड़ रुपये की ड्रग्स बरामद की है।

मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच के मुताबिक, मौके पर छापे के दौरान उस फैक्ट्री से 8 किलो एमडी ड्रग्स बरामद की है। इसकी कीमत अंतर्राष्ट्रीय बाजार में करीब 16 करोड़ रुपये बताई जा रही है। इस मामले में गिरफ्तार किए गए दोनों आरोपियों को कोर्ट में पेश किया गया। वहां से अदालत ने उन्हें 19 अक्टूबर तक के लिए पुलिस कस्टडी में भेज दिया है। अब उनसे लंबी पूछताछ की जाएगी।

मुंबई क्राइम ब्रांच की यूनिट 9 को खुफिया जानकारी मिली थी कि कुछ लोग ड्रग्स की तस्करी के लिए आने वाले हैं। यह खबर मिलने के बाद क्राइम ब्रांच ने जाल बिछाकर 2 लोगों को गिरफ्तार कर लिया। उन दोनों के पास से क्राइम ब्रांच ने 5 किलो एमडी ड्रग्स बरामद की। पकड़े गए आरोपियों से जब पूछताछ की गई, तो सोलापुर जिले में एक फैक्ट्री में एमडी ड्रग्स बनाने की जानकारी मिली। ये जानकारी क्राइम ब्रांच के लिए बहुत अहम थी।

लिहाजा, क्राइम ब्रांच की टीम ने आरोपियों की निशानदेही पर सोलापुर जाकर उस फैक्ट्री में छापेमारी की, जहां से क्राइम ब्रांच टीम ने 3 किलो एमडी ड्रग्स बरामद की। इस तरह से इस मामले में कुल 8 किलो एडी ड्रग्स बरामद की गई। यही नहीं, उस फैक्ट्री के अंदर से एमडी ड्रग बनाने का बहुत सारा कच्चा मैटेरियल भी बरामद हुआ। इसकी कीमत 100 करोड़ रुपये के करीब बताई जा रही है।

मुंबई क्राइम ब्रांच से मिली जानकारी के मुताबिक, सोलापुर की जिस फैक्ट्री पर छापेमारी की गई, वहां दो भाई मिलकर ड्रग बनाने का काम करते थे। उनकी पहचान अतुल किशन गवली और राहुल किशन गवली के तौर पर हुई है। ये दोनों भाई दसवीं फेल हैं। छानबीन के दौरान क्राइम ब्रांच को पता चला है कि ये दोनों भाई 8 महीने पहले एक केमिकल फैक्ट्री में काम करते थे। वहीं से उन दोनों को ड्रग बनाने का आइडिया आया था। 

क्योंकि दोनों भाई जान गए थे कि ड्रग कैसे बनती है। तब उन्होंने अपना बिजनेस शुरू किया। ये दोनों आरोपी पहले भी मुंबई आ चुके हैं और उन्होंने मुंबई के वर्सोवा इलाके में ड्रग बेची है। दोनों ज्यादा पढ़े लिखे नहीं होने के बावजूद एमडी ड्रग्स बनाते थे। पकड़ी गई फैक्ट्री में छापेमारी के दौरान ड्रग्स बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाले फॉर्मल (ड्रग बनाने का लिक्विड) भी बरामद किए हैं। उस पर आरोपियों ने नाम लिख कर रखा हुआ था।

लोकल पुलिस के अनुसार, दोनों आरोपियों ने 8 महीने पहले वो फैक्ट्री किराए पर ली थी, जिसका किराया 30 हजार रुपये महीने था। दोनों समय से किराया भी भरते थे। क्राइम ब्रांच अब ये पता लगाने की कोशिश में जुटी है कि क्या उस ड्रग्स की फैक्ट्री को चलाने में कोई और भी शामिल है? पकड़े गए दोनों आरोपी किन लोगों को ड्रग्स सप्लाई करते थे? इस काम में क्या कोई इनका पार्टनर या मददगार था?

Sources:AajTak

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