विदेश में काम करने के दौरान लापता हुए कई भारतीय,सीबीआई ने दर्ज की मानव तस्करी की FIR
भारत के पंजाब और हरियाणा राज्य से बहुत से लोग विदेशों में जाकर नौकरी करने का ख्वाब देखते हैं और वे काम लिए दूसरे मुल्कों में जाते भी हैं। लेकिन कई लोग ऐसे हैं, जो विदेश जाकर लापता हो गए। ऐसे ही मामलों की जांच अब सीबीआई करेगी। इसी के चलते सीबीआई ने पंजाब और हरियाणा के उन लापता लोगों के संबंध में एफआईआर दर्ज की है। ये चार मानव तस्करी के मामले हैं, जिन्हें अलग-अलग दर्ज किया गया है।दरअसल, ऐसे मामलों की जांच सीबीआई को सौंपे जाने का फरमान पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने सुनाया था। उसी के बाद पांच याचिकाकर्ताओं के मामलों की जांच करने की जिम्मेदारी केंद्रीय एजेंसी सीबीआई को सौंप दी गई। इन सभी पांच लोगों ने हाई कोर्ट से मदद की गुहार लगाई थी।
याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि उनके रिश्तेदारों को ट्रैवल एजेंटों या दूसरे दलालों ने फर्जी दस्तावेजों पर या तस्करी के जरिए विदेश जाने का लालच दिया और इसके बाद वे लोग गायब हैं। अब उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है।हाई कोर्ट के आदेश पर सीबीआई ने दलजीत सिंह, अक्टूबर सिंह, जसवंत सिंह और महा सिंह की शिकायत पर अलग-अलग मामलों में हरियाणा की नीता, बंटी, युदवीर भाटी और पंजाब के अवतार सिंह और प्रदीप कुमार के खिलाफ मामला दर्ज किया है।महा सिंह ने आरोप लगाया कि उनका बेटा सोमबीर दो अन्य व्यक्तियों के साथ युदवीर राठी डिफेंस एकेडमी, रोहतक के माध्यम से यमन में ओवरसीज शिपिंग कंपनी में काम करने गया था। एक साल बाद उनके साथ गए केवल दो व्यक्ति वापस आए लेकिन उनके बेटे का कोई पता नहीं चला। इसी तरह से जसवन्त सिंह ने आरोप लगाया कि उनका बेटा साल 2010 से लापता है।
याचिकाकर्ताओं के वकील ने दावा किया कि पंजाब से ऐसे 105 लोग लापता हैं और उनका कोई अता-पता नहीं है। उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने मामले दर्ज कराने और अपने लापता बच्चों का पता लगाने के लिए पुलिस से संपर्क करने के लिए बार-बार कोशिश की, लेकिन राज्य के सिस्टम ने उन लापता लोगों को ढूंढने के लिए कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया है।वकील ने कहा, चूंकि मामले छात्रों और व्यक्तियों के अवैध रूप से देश से बाहर जाने से संबंधित हैं, इसलिए राज्य पुलिस का अधिकार क्षेत्र और भी सीमित है और केंद्रीय एजेंसियों पर बहुत अधिक निर्भरता है। पंजाब और हरियाणा सरकारों और केंद्र ने इस मामले में दायर प्रार्थना का विरोध नहीं किया कि ये मामले सीबीआई की मानव तस्करी विरोधी इकाई को सौंपे जाएं।
इस मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस विनोद भारद्वाज ने कहा "इन मामलों में तथ्य गतिरोध पर पहुंच गए हैं। राज्य एजेंसियों ने अपनी असमर्थता व्यक्त की है और अपने अधिकार क्षेत्र को सीमित बताया। क्योंकि पुलिस या राज्य की एजेंसियां विदेश मंत्रालय, आव्रजन और प्रवासन विभाग, पासपोर्ट ऑफिस और इंटरपोल से विवरण मांगने के लिए केंद्रीय एजेंसियों पर निर्भर करती हैं। इस अदालत में मामले लगभग 10 वर्षों से लंबित हैं और ज्यादा प्रगति नहीं हो सकी है। " जस्टिस ने कहा कि ये बात गंभीर है कि बड़ी संख्या में युवा लापता हैं और उनका कोई सुराग नहीं लग रहा है।
Sources:aajtak
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