बैकफुट पर आई मोदी सरकार,लेटरल एंट्री के विज्ञापन पर लगाई रोक

 


नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने मंगलवार को संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) के अध्यक्ष को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देशानुसार लैटरल एंट्री विज्ञापन रद्द करने के लिए पत्र लिखा। आपको बता दें कि यूपीएससी ने पिछले शनिवार को 45 पदों के लिए विज्ञापन दिया था, जिनमें से 10 संयुक्त सचिव और 35 निदेशक/ उप सचिव के पद हैं, जिन्हें अनुबंध के आधार पर पार्श्व प्रवेश मोड के माध्यम से भरा जाना है। इस योजना का उद्देश्य सरकारी विभागों में विशेषज्ञों (निजी क्षेत्र से जुड़े लोगों सहित) की नियुक्ति करना है।

हालांकि, इसको लेकर राजनीति भी तेज हो गई थी। कांग्रेस नेता राहुल गांधी लगातार इसके खिलाफ बोल रहे थे। इसके अलावा एनडीए के सहयोगी भी इसकी आलोचना कर रहे थे। राहुल ने एक्स पर पोस्ट किया, लेटरल एंट्री दलितों, ओबीसी और आदिवासियों पर हमला है। भाजपा का राम राज्य का विकृत संस्करण संविधान को नष्ट करना चाहता है और बहुजनों से आरक्षण छीनना चाहता है। पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने रविवार को आरोप लगाया था कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ‘‘संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) के बजाय राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के माध्यम से लोक सेवकों की भर्ती करके संविधान पर हमला कर रहे हैं।)
लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष और हाजीपुर से सांसद चिराग पासवान ने संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) में लेटरल एंट्री को ‘पूरी तरह से गलत’ बताया और कहा कि वह इस मुद्दे को सरकार के समक्ष उठाने की योजना बना रहे हैं। ऐसी भर्तियों में आरक्षण के प्रावधान की मांग करते हुए पासवान ने कहा कि वह इस मामले को सरकार के समक्ष उठाएंगे। पासवान ने कहा कि जहां भी सरकारी नौकरियों में नियुक्तियां हों, वहां आरक्षण के प्रावधानों का पालन किया जाना चाहिए। इसमें कोई शक.शुबहा नहीं है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से ये जानकारी सामने आई है, वो मेरे लिए भी चिंता का विषय है क्योंकि मैं इस सरकार का हिस्सा हूं और इन मुद्दों को उठाने के लिए मेरे पास मंच है।

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