बांग्लादेश उपद्रव : सहमे हुए भारतीय लाइट तक नहीं जला रहे कमरे की

 


बांग्लादेश में छात्र आंदोलन उग्र रूप ले चुका है। जगह-जगह हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं। कई भारतीय परिवार भी बांग्लादेश में रहते हैं। इनमें से एक कानपुर के बर्रा में रहने वाले सुशील सिंह चौहान भी हैं। वे राजधानी ढाका से करीब 150 किमी दूर मीरपुरनाथ सिराजगंज में एक बिल्डिंग में रहते हैं। उन्होंने सोमवार को अपने पिता अवधेश सिंह चौहान से फोन पर बात कर वहां के हालात बयां किए।उन्होंने कहा कि उपद्रवी उनकी बिल्डिंग के नीचे तक आ गए और मकान मालिक शाह सलीम से पूछा कि यहां कोई भारतीय तो नहीं रहता, लेकिन उन्होंने मना कर दिया और उपद्रवी चले गए।

बताया कि वे लोग कमरे की लाइट बंद करके रहते हैं। सुशील ने अपने पिता को बताया कि यहां हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं। वे लोग सुरक्षित हैं, लेकिन घबराए हुए हैं। कहा कि उनके साथ बिल्डिंग में 24 भारतीय परिवार रहते हैं।वे अपनी पत्नी पारुल चौहान और पांच वर्षीय बेटे नाभिथ सिंह के साथ रहते हैं। सुशील ट्रांसरेल लाइटिंग कंपनी में मैनेजर हैं। वे 23 फरवरी को परिवार के साथ अपने घर आए थे। यहीं पर उन्होंने बेटे का जन्मदिन भी मनाया था। उसके बाद से बांग्लादेश में ही हैं। सुशील ने बताया कि उनके साथ फतेहपुर के रहने वाले सुनील कुमार भी उसी मकान में किराये पर रहते हैं।

बाकी यूपी और देश के दूसरे राज्यों के लोग हैं, जो अलग-अलग जगहों पर नौकरी करते हैं।सुशील के पिता अवधेश सिंह चौहान ने बताया कि बेटे से जब बात हो रही थी, तो उसकी आवाज कांप रही थी। जब वह बांग्लादेश के हालातों के बारे में जानकारी दे रहा था, तब उसकी बिल्डिंग के सामने से उपद्रवियों का जुलूस निकल रहा था। इसकी फोटो भी उसने खिड़की से खींचकर भेजी है। बताया कि सुबह बेटे से व्हाट्सएप कॉल से बात हुई थी। उसके बाद पूरे दिन फोन नहीं लगा। रात में करीब 10 बजे फिर से बात हुई। अवधेश का कहना है कि बेटे ने बताया कि अभी तक भारतीय दूतावास से उन लोगों को कोई सूचना नहीं दी गई है।

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