न्यू ईयर पर यहां सैकड़ों लोग लगाते हैं बर्फीले पानी में डुबकी! है अजीब परंपरा
अजब-गजब : जिस मौसम में लोग नहाने से भी कतराते हैं, उस मौसम में लोग बर्फीले पानी में डुबकी लगाते हैं! ये सुनकर आपको बेशक हैरानी हुई होगी, पर कनाडा में एक जगह है, जहां सैकड़ों लोग हर साल नए साल की शुरुआत में जुटते हैं और एक अजीबोगरीब परंपरा का हिस्सा बनते हैं। ये लोग इस जगह पर आकर बर्फीले पानी में डुबकी लगाते हैं। आप भी जानते होंगे कि बर्फ से ठंडे पानी में नहाने से क्या.क्या समस्याएं पैदा हो सकती हैं। तो फिर लोग ऐसी अजीब परंपरा का हिस्सा क्यों बनते हैं और ये शुरू कब से हुई ?चलिए आपको बताते हैं।
आपको बता दें कि इस डुबकी लगाने की परंपरा को ‘पोलर बियर डिप’ कहते हैं। इसका आयोजन हर साल 1 जनवरी को कनाडा के ओकविले शहर के लेक ओनटारियो में होता है। ये परंपरा ज्यादा पुरानी नहीं है। इसे 39 साल हो चुके हैं और 1 जनवरी 2025 को इस परंपरा को 40 साल पूरे हो जाएंगे। इस ट्रेडिशन के लिए एक वेबसाइट भी बनाई गई है, जिसपर जाकर लोग रेजिस्टर कर सकते हैं। रेजिस्ट्रेशन का चार्ज है 20 डॉलर (करीब 1600 रुपये)
40 साल पहले शुरू हुई थी परंपरा
इस कार्यक्रम में लाइव म्यूजिक, खाने-पीने की सुविधा, नाच-गाना भी होता है। पर सवाल ये उठता है कि आखिर इस प्रथा की शुरुआत कैसे हुई। करेज पोलर बियर डिप की शुरुआत 1 जनवरी 1985 को हुई थी। गाये करेज नाम की एक महिला ने नए साल के पहले दिन अपने दो बेटों टॉड और ट्रेंट को जल्दी नहाने को कहा। पर वो जा नहीं रहे थे। तब उन्होंने लड़कों को चैलेंज दिया कि वो इस मौसम में झील में जाकर डुबकी लगाएं। जिससे उनकी नींद खुल जाएगी और वो उन्हें बहादुर मान लेंगी। अब बच्चों को अगर चैलेंज दे दिया जाए, तो वो मौज-मस्ती में उसे अपना ही लेते हैं। दोनों लड़कों ने अपने कुछ दोस्तों के साथ इस चैलेंज को अपना लिया और बर्फीले पानी में जाकर कूद गए।
साफ पानी के लिए भाइयों ने छेड़ी मुहिम
बस वहीं ये से प्रथा शुरू हो गई। अगले साल कई अन्य लोग वहां जुटे और धीरे-धीरे लोगों की संख्या बढ़ने लगी। जब भाइयों को लगा कि अब काफी लोग वहां पर आने लगे हैं तो उन्होंने सोचा कि इस परंपरा को एक अच्छे काम से जोड़ा जाए। तब उन्होंने 1995 में वर्ल्ड विजन कनाडा के साथ मिलकर विकासशील देशों के लिए साफ पानी के इंतजाम को लेकर एक फंड बनाया। अब हर साल यहां के लिए जो रेजिस्ट्रेशन होता है, उसके साथ लोगों से कुछ योगदान भी मांगा जाता है। उसे फंड में डाल दिया जाता है। तब से लेकर अभी तक करीब 11 करोड़ रुपये जुटा लिए गए हैं।
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