"आस्था पर चोट नहीं सहेगा राष्ट्र:खतौली में विले पार्ले मंदिर विध्वंस का विरोध"
खतौली/ मुज़फ्फरनगर : मुंबई के विले पार्ले क्षेत्र में एक ऐतिहासिक जैन मंदिर को तोड़े जाने की घटना ने देशभर के जैन समुदाय को आक्रोशित कर दिया है। इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश के खतौली नगर में रविवार को सकल जैन समाज के बैनर तले एक शांति पूर्ण लेकिन सशक्त विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया गया।
प्रदर्शन में नगर के सभी जैन समाज के लोगों ने एकजुट होकर भाग लिया और प्रशासन से इस घटना की उच्च स्तरीय जांच की मांग की। समाज के लोगों ने हाथों में तख्तियां लेकर, धार्मिक स्थलों की रक्षा की मांग करते हुए नारे लगाए – “धर्मस्थल तोड़ना बंद करो”, “जैन समाज का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान” और “जैन मंदिरों की रक्षा करो”।
प्रदर्शन में जुटी भारी भीड़, समाज के प्रमुख लोगों ने रखी बात
इस मौके पर समाज के प्रमुख नेताओं और धर्माचार्यों ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि विले पार्ले का जैन मंदिर केवल ईंट और पत्थर की इमारत नहीं, बल्कि आस्था और संस्कृति का प्रतीक है। उन्होंने आरोप लगाया कि मंदिर को बिना पूर्व सूचना और किसी वैध प्रक्रिया के तोड़ा गया, जो कि न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि धार्मिक भावनाओं को भी आहत करता है।
जैन समाज के वरिष्ठ सदस्य श्री अशोक कुमार जैन ने कहा, "हम शांतिप्रिय समाज हैं, लेकिन यदि हमारे धर्मस्थलों पर इस प्रकार की कार्यवाही होती रही, तो हम चुप नहीं बैठेंगे। मंदिरों की रक्षा करना केवल जैन समाज का ही नहीं, बल्कि पूरे राष्ट्र का कर्तव्य है।"
प्रशासन को सौंपा ज्ञापन
प्रदर्शन के पश्चात समाज के प्रतिनिधिमंडल ने उप-जिलाधिकारी के माध्यम से महाराष्ट्र सरकार और राष्ट्रपति के नाम एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें मंदिर विध्वंस की न्यायिक जांच, दोषियों पर कठोर कार्रवाई और भविष्य में ऐसे किसी भी कदम से पहले धार्मिक संस्थाओं से परामर्श करने की मांग की गई।
आंदोलन की चेतावनी
सकल जैन समाज ने चेतावनी दी है कि यदि इस मामले में जल्द ही कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो यह आंदोलन राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर भी फैलाया जाएगा। साथ ही जैन समाज के संतों और मुनियों से भी इस विषय पर मार्गदर्शन लेकर व्यापक रूप से विरोध की रणनीति बनाई जाएगी।
समाज में रोष, लेकिन संयम बरकरार
प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहा, लेकिन समाज के भीतर इस घटना को लेकर गहरा रोष देखने को मिला। विशेष बात यह रही कि प्रदर्शन के दौरान अनुशासन और संयम का पालन करते हुए जैन समाज ने अपनी परंपरा के अनुरूप अहिंसक और सजीव विरोध प्रस्तुत किया।
जैन समाज के इस एकजुटता भरे विरोध से यह स्पष्ट संदेश गया कि धार्मिक आस्था पर आघात किसी भी सूरत में स्वीकार्य नहीं है, और समाज अपने धर्मस्थलों की रक्षा के लिए हर स्तर पर आवाज उठाने को तैयार है।
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