पहलगाम की वीरगाथा: घुड़सवार सैयद आदिल, जो बन गया मानवता का मसीहा

 


नई दिल्ली/पहलगाम   : जम्मू-कश्मीर के पहलगाम के बैसरन इलाके में हाल ही में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को हिला कर रख दिया है। यह हमला पिछले 25 वर्षों में पर्यटकों पर हुआ सबसे बड़ा और घातक आतंकी हमला बताया जा रहा है। लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े आतंकी संगठन टीआरएफ ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है।

हमले में अब तक कई दर्दनाक कहानियां सामने आई हैं, जिनमें आतंकियों द्वारा धर्म पूछकर निर्दोष लोगों को निशाना बनाया गया। वहीं, इस हिंसा की चपेट में आकर जान गंवाने वालों में एक नाम ऐसा भी है, जिसने मानवता की मिसाल पेश की – सैयद आदिल हुसैन शाह।

सैयद आदिल हुसैन शाह स्थानीय निवासी और एक घुड़सवार थे। वह पर्यटकों को घोड़े पर घुमा कर अपने परिवार का पेट पालते थे। बताया जा रहा है कि जब आतंकी हमला हुआ, उस वक्त आदिल पर्यटकों के साथ मौजूद थे। उन्होंने हमलावरों को रोकने की कोशिश की और उनसे विनती करते हुए कहा, “ये कश्मीरियों के मेहमान हैं, इन्हें मत मारो, चाहे इनका धर्म कुछ भी हो।”

आदिल की इस कोशिश के बावजूद आतंकियों ने उन्हें भी गोली मार दी। वे उन 26 लोगों में शामिल थे जिनकी जान इस हमले में चली गई।

उनकी मां, जो बेटे की मौत से बेसुध हैं, मीडिया से बात करते हुए फूट-फूट कर रो पड़ीं। उन्होंने कहा, “वो हमारा एकमात्र सहारा था। वह रोज़ घुड़सवारी करके हमारे लिए पैसे कमाता था। अब हमारे पास कोई नहीं बचा। उसके बिना हम कैसे जिएंगे, हमें नहीं पता।”

हमले में कर्नाटक के मंजूनाथ समेत कई पर्यटक भी मारे गए। मंजूनाथ की पत्नी ने बताया कि जब उन्होंने आतंकियों से कहा कि मुझे भी मार दो, तो जवाब मिला, “तुम्हें नहीं मारेंगे, जाओ मोदी को बता दो।”

यह घटना देशभर में गुस्से और दुख का कारण बनी हुई है। सोशल मीडिया पर लोग सैयद आदिल हुसैन शाह की बहादुरी को सलाम कर रहे हैं और इस हमले के दोषियों को सख्त सज़ा देने की मांग कर रहे हैं।यह हमला एक बार फिर बताता है कि आतंक का कोई धर्म नहीं होता, और इंसानियत की रक्षा करने वाले हर धर्म, हर जाति में होते हैं – जैसे सैयद आदिल हुसैन शाह।

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