"धमकियों से डरे नहीं अनुराग, बोले- शास्त्रों के पीछे छिपे डरपोक!"
फिल्म निर्देशक अनुराग कश्यप एक बार फिर विवादों में घिर गए हैं। हाल ही में उन्होंने इंस्टाग्राम पर एक ब्राह्मण विरोधी टिप्पणी कर दी, जिसके बाद सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। हालांकि अब अनुराग ने पूरे मामले पर सफाई दी है और कहा है कि उनके बयान को संदर्भ से काटकर पेश किया जा रहा है।
क्या है पूरा मामला?
अनुराग कश्यप ने हाल ही में फिल्म फुले से जुड़ा एक पोस्ट शेयर किया था, जिसमें उन्होंने जातिवाद और सामाजिक मुद्दों पर अपने विचार रखे। इस पोस्ट पर एक इंस्टाग्राम यूजर ‘hereotherside’ ने कमेंट किया –
“ब्राह्मण तुम्हारे बाप हैं। जितना तुम्हारी उनसे सुलगेगी, उतना तुम्हारी सुलगाएंगे।”
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए अनुराग ने लिखा –
“ब्राह्मण पर मैं मूतूंगा… कोई प्रॉब्लम?”
अनुराग का यह जवाब सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और इस पर तीखी आलोचना शुरू हो गई। कई यूजर्स ने इसे ‘हेट स्पीच’ करार दिया, जबकि कुछ ने इसे ‘क्रिएटिव रेजिस्टेंस’ बताया।
अनुराग ने दी सफाई, कहा- संदर्भ भी देख लो डरपोकों
बढ़ते विवाद के बीच अनुराग कश्यप ने उसी इंस्टा कमेंट और अपने जवाब का स्क्रीनशॉट शेयर करते हुए लंबा पोस्ट लिखा। उन्होंने कहा:
“जवाब तो सबने पढ़ लिया… रोष भी दिखा रहे हैं… आग लगा रखी है… संदर्भ भी देख लो डरपोकों। सारी जिंदगी शास्त्रों के पीछे छिपने वाले सबसे आलसी लोग, जो खुद कुछ पते का काम नहीं करते, सिर्फ दूसरों को नीचा दिखाकर खुद को बड़ा बोलते हैं। मेरे लिए तो भाई तुम लोग चू*या ही रहोगे।”
उन्होंने इस बयान के जरिए उन ट्रोल्स और कट्टरपंथियों पर निशाना साधा, जो जातिगत गर्व के नाम पर नफरत फैला रहे हैं।
व्यंग्य में मांगी माफी, लेकिन जताई चिंता
इसके बाद अनुराग ने एक और पोस्ट किया, जिसमें उन्होंने ब्राह्मणों से व्यंग्यात्मक अंदाज में माफी मांगी। उन्होंने लिखा कि उनकी बेटी, परिवार और दोस्तों को धमकियां मिल रही हैं। उन्होंने यह भी बताया कि इन ट्रोलिंग और धमकियों की वजह से वह मुंबई छोड़ चुके हैं।
हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उनका फिल्मी करियर थमा नहीं है। अनुराग ने लिखा कि उनके पास 2028 तक के प्रोजेक्ट्स लाइन में हैं और वह लगातार फिल्ममेकिंग में व्यस्त हैं।
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं बंटी हुईं
जहां कुछ लोग अनुराग की अभिव्यक्ति की आजादी का समर्थन कर रहे हैं, वहीं एक बड़ा वर्ग इसे नफरत फैलाने वाला बयान मान रहा है। कई लोग उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं, जबकि कुछ ने समर्थन में यह भी कहा कि जातिवादी टिप्पणियों पर इसी तरह का तीखा जवाब जरूरी है।
अनुराग कश्यप का यह पूरा विवाद सोशल मीडिया पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, जातिवाद, और निजी हमलों के बीच की जटिल रेखाओं को उजागर करता है। जहां एक ओर कटाक्ष और विरोध का स्वर दिखता है, वहीं दूसरी ओर यह भी साफ है कि पब्लिक फिगर की हर बात को तोल-मोल कर ही कहना पड़ता है, क्योंकि उसका प्रभाव समाज के कई हिस्सों तक जाता है।
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